बच्चे के शारीरिक विकास के लिए जितना जरूरी संतुलित आहार का सेवन है, उतना ही जरूरी पर्याप्त नींद लेना भी है। पढ़ाई में बढ़िया परफॉर्मेंस के लिए दिमाग से विषैले तत्वों का बाहर निकालना जरूरी है जबकि थकावट की वजह से मानसिकता ओत-प्रोत रहती है। जिससे विषयों को याद रखने में कठिनाई होती है और विद्यार्थी पेपरों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि पेपरों के दिनों में जो बच्चे 8 घंटे की नींद पूरी करते हैं उनके नंबर रात भर जाग कर पढ़ाई करने वाले बच्चों के मुकाबले अधिक अच्छे आते हैं।
वायलर यूनिवर्सिटी आर्ट्स एंड साइंसेज के एसिसटेंट प्रोफेसर माइकल स्कुलिन(Michael Scullin)का इस बारे में कहना है कि पर्याप्त नींद फाइनल पेपर में बढ़िया प्रदर्शन करने में बहुत मदद करती है जबकि यह अधिकांश छात्र-छात्राओं की धारणा के बिल्कुल विपरीत है। उन्हें इस समय ज्यादा से ज्यादा अध्ययन के लिए रात-रात भर जाग कर पढ़ना पड़ता है। जिसके लिए वे नींद तक का त्याग करते हैं।
8 घंटे की नींद बढ़ाती है ग्रेड
स्कुलिंग के विद्यार्थियों पर किए गए अध्ययन अनुसार, एक स्टूडेंट जिसके पहले और दूसरे दर्जे की परीक्षाओं में डी ग्रेड था, जब उसने फाइनल पेपर में एक सप्ताह पहले आठ घंटे की नींद पूरी की तो उसने बढ़िया प्रदर्शन करते हुए एग्जाम पास किए। उसने खुद माना कि उसके दिमाग ने पहले से अधिक अच्छा प्रदर्शन किया।
अनिद्रा बढ़ाती है तनाव
जब बच्चे पेपर के समय में नींद पूरी नहीं करते तो वे अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं। जिससे तनाव बढ़ने लगता है। हर चीज अच्छी तरह से आते हुए भी वे बढ़िया परफोर्मेंस देने से चूक जाते हैं और उनका ग्रेड नीचे आ जाता है।
कम नींद न लेने के नुकसान
हर किसी की उम्र और शारीरिक जरूरत के हिसाब से नींद की जरूरत भी अलग-अलग तरह से होती है। नवजात बच्चे 20 घंटे, स्कूल जाने वाले बच्चे 10 घंटे तो कालेज जाने वाले युवाओं को 8 घंटे की नींद पूरी करना बहुत जरूरी है। इसकी कमी आने पर कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं।
आई.क्यू लेवल कम होना
नींद न आने से बच्चों में आई.क्यू. कम होना शुरू हो जाता है। उसे चीजों को जल्दी याद करने में दिक्कत आने लगती है। जिसका असर पेपर में होने वाली परफोर्मेंस में साफ देखने को मिलता है।
तनाव और चिड़चिड़ापन
अनिद्रा से जूझ रहे स्कूल और कालेज गोइंग बच्चे धीरे-धीरे तनाव या चिड़चिड़ेपन से परेशान हो जाते हैं। इससे कई कोशिशे करने पर भी पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता।
थकान महसूस होना
पेपर देते समय फ्रेशनेस महसूस होना बहुत जरूरी है अगर नींद पूरी नहीं होगी तो सारा दिन थकावट बनी रहेगी और पेपर के दौरान प्रदर्शन अच्छा नहीं हो पाएगा।
हाइपर एक्टीविटी दिखाई देना
नींद की कमी का शिकार बच्चे हाइपर एक्टीव होते हैं। किसी भी काम को वे ज्यादा गंभीरता से ले लेते हैं, जिसका असर उनकी मानसिकता पर पड़ने लगता है।