25 APRTHURSDAY2024 8:23:50 PM
Nari

पकौड़े बेचने वाले धीरुभाई ने शेख को बेची थी मिट्टी, आज हैं अरबों में बिजनेस

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 29 Dec, 2019 11:19 AM
पकौड़े बेचने वाले धीरुभाई ने शेख को बेची थी मिट्टी, आज हैं अरबों में बिजनेस

मंजिल को हासिल करने के लिए जीवन में कई बार हार का सामना करना पड़ता है लेकिन असली व्यक्ति वहीं होता है जो हार का सामना करने के बाद भी अपनी मंजिल की ओर बढ़ता है और जीत हासिल करता है। शायद इसलिए आज भी जब देश में मजबूत और सफल व्यापारी का नाम लिया जाता है तो धीरुभाई अंबानी का नाम हर किसी को याद रहता है। धीरुभाई अंबानी ने अपने जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। 

 

28 दिसंबर 1932 को गुुजरात के सिलवासा में जन्में धीरुभाई अंबानी की कल 87 वीं जयंती थी। 300 रुपए महीने की सैलरी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले धीरुभाई अंबानी ने देश की सबसे मशहूर कंपनी रिलायंस ग्रुप की नींव रखी थी। अपनी लगातार मेहनत के दम पर वह कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी के मालिक बना गए थे। अंबानी परिवार के पास यह शोहरत और नाम शुरु से नहीं था, उन्होंने बड़ी ही मेहनत के साथ इस कमाया हैं।

PunjabKesari

फल और नाश्ता बेचने से की थी शुरुआत 

धीरुभाई अंबानी हाई स्कूल तक पढ़ाई करने के बाद व्यापार के क्षेत्र में आ गए थे। फल और नाश्ता बेचने से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। जब इस काम में उन्हें अधिक लाभ नहीं हुआ तो उन्होंने धार्मिक स्थल के पास पकौड़े बेचने शुरु कर दिए लेकिन इस काम में भी उन्हें अधिक लाभ नहीं हो रहा था। उसके बाद 17 साल की उम्र में 1949 में वह अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए। वहां पर उन्होने एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपए महीने पर काम किया। 1954 में 500 रुपए के साथ वह अपने देश वापिस लौट आए और यहां पर अपने चचेरे भाई के साथ पॉलिस्टर धागे का काम करने लगे। यमन में उन्होंने अपने इतनी जान-पहचान बना ली थी अब वहां से मसाले मंगवा कर वह भारत बेचते थे। 

PunjabKesari

शेख को भारत से बेची थी मिट्टी 

धीरुभाई बिजनेस के मामले में बहुत ही पक्के थे। कहा जाता है कि एक बार उन्होंने दुबई के शेख को गार्डन बनाने के लिए भारत की मिट्टी बेच कर काफी पैसे लिए थे। वहीं पॉलिस्टर बिजनेस के दम पर धीरुभाई ने मुंबई के यार्न उद्योग पर अपना हक जमा लिया था। अपने इस बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए 1981 में उनके बड़े बेटे मुकेश अंबानी भी उनके साथ काम करने लगे। जिसके बाद उनके  पॉलिस्टर फाइबर से पेट्रोकेमिकल और पेट्रोलियम बिजनेस की तरफ शिफ्ट किया। इसके बाद धीरे-धीरे रिलायंस इंडस्ट्री ने न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। बिजनेस में धीरुभाई के इस योगदान को देखते हुए सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण अवार्ड से सम्मानित किया था। 6 जुलाई  2002 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया था।

 

लाइफस्टाइल से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए डाउनलोड करें NARI APP

Related News