दिल्ली का दिनों-दिन बढ़ रहा प्रदूषण लोगों के लिए बेहद जानलेवा साबित हो रहा है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने दिल्ली को दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित जगहों में शुमार कर दिया है। वहां की हवा की क्वालिटी हर ढलते दिन के साथ खराब होती जा रही है, जिसका सीधा असर पर पड़ रहा है।
जिंदगी के 10 साल कम कर रहा है बढ़ता प्रदूषण
स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का लगातार बढ़ता प्रदूषण लोगों की जिंदगी के 10 साल कम कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण का लोगों की सेहत पर असर एक बार धूम्रपान करने, दोगुना अल्कोहल व ड्रग्स लेने, तीन गुना ज्यादा गंदा पानी पीने और एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण के बराबर है। इस स्टडी को एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) के साथ मिलकर किया गया है, जिसमें हवा में सांस लेने से होने वाले खतरों को की जांच की गई है। इसमें सामने आया है कि प्रदूषण के कारण लोगों के जीवन से 10 साल कम हो रहे हैं।
प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर है भारत
मौजूदा समय में भारत दुनियाभर के सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, वायु की सुरक्षित सीमा PM 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर सालाना होनी चाहिए। वहीं, इंडियन स्टैंडर्ड ने वायु की सुरक्षित सीमा को 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ाया है।
10 गुना बढ़ गया है प्रदूषण का स्तर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1998 में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और बिहार प्रदूषण के कहर से जूझ चुका है। WHO के मुताबिक, यहां रहने वाले लोगों का जीवन 2 से 5 साल तक कम हुआ। वहीं, पिछले 2 दशकों में यहां प्रदूषण का स्तर 10 गुना ज्यादा बढ़ गया है, जोकि लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। वहीं मौजूदा समय में ये बढ़कर 43 फीसदी हो गई है।
प्रदूषण से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियां
अस्थमा
वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा अस्थमा का खतरा होता है। वहीं, जो लोग पहले से ही अस्थमा से पीड़ित हैं, उनके लिए इस जहरीली हवा में सांस लेना बेहद खतरनाक हो है। इसके कारण सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।
फेफड़ों में कैंसर
वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों की कोशिकाओं में जरूरत से ज्यादा ग्रोथ होने लगती है, जिससे शरीर में ठीक तरह से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है। इससे फेफड़ों के कैंसर संभावना बढ़ जाती है।
निमोनिया
प्रदूषित हवा में ऐसे बैक्टीरिया है जो सांस के जरिए शरीर में जाकर निमोनिया को जन्म देते हैं इसलिए घर से बाहर मास्क लगाकर ही निकलें।
गले व आंखों में इरिटेशन
बढ़ते प्रदूषण से नाक, गले और आंखों की एलर्जी होने की संभावनाएं भी बढ़ रही है। इसके अलावा इससे छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है।
ऑटिजिम
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण के कारण बच्चों में ऑटिजिम जैसी घातक बीमारी का अधिक खतरा रहता है। ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है, जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है।
समय से पहले मौत का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण से ना सिर्फ लोगों की जिंदगी कम हो रही हैं बल्कि यह मौत का खतरा भी बढ़ रहा है। जी हां, प्रदूषण के कारण हर साल दुनियाभर में कई लोग अपनी जान खो देते हैं।
ल्यूकेमिया
यह एक तरह का ब्लड कैंसर होता है और प्रदूषित हवा में सांस लेने से इसका खतरा भी बढ़ रहा है। इसमें त्वचा की रंगत पीली पड़ना और थकान जैसे लक्षण सामने आते हैं।
दिल की बीमारी
हवा में मौजूद जहरीली गैसें और बैक्टीरिया सांस के जरिए शरीर के अंदर चली जाती हैं, जिससे दिल को नुकसान पहुंचता है। साथ ही इससे आप कई तरह के इंफेक्श की चपेट में भी आ सकते हैं।
प्रदूषण से बचने के लिए बरतें सावधानियां
-घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें और अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
-थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी पीते रहें, ताकि शरीर हाइड्रेटिड रहें और प्रदूषण से नुकसान न हो।
-घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं, जिससे कि वह प्रदूषण से होने वाली इरिटेशन से बची रहें।
-अगर आप सांस के मरीज हैं तो अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें।
-घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर की हवा दूषित न हो।