पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले तो आए दिन देखने को मिलते हैं। यहां कुछ केस में पति-पत्नी अलग हो जाते हैं। वहीं कुछ मामलों में आपसी सहमति से मामला निपट जाता है लेकिन हाल ही में एक केस ऐसा सामने आया है, जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाए।
दरअसल, हाल में एक कपल कोर्ट में तलाक लेने गया था। हालांकि आपसी सलाह से दोनों के बीच सुलाह हो गई लेकिन कोर्ट ने महिला के सामने कुछ ऐसी शर्ते रख दी कि उन्हें हटवाने के लिए महिला को दोबारा कोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़े।
जानिए पूरा मामला...
कुछ दिन पहले झारखंड हाईकोर्ट में एक महिला ने उस पर लगाई गई शर्त को हटाने के लिए केस किया था। जानकारी के अनुसार पती व पत्नी के बीच हाईकोर्ट के बीच सहमति के साथ एक शर्त रखी गई थी जिसके अनुसार महिला रोज अपने मायके वालों से सिर्फ एक घंटा ही बात कर सकती हैं। इतना ही नही उसका पति उसे सिर्फ एक घंटे ही फोन देगा, जिसका वह इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके बाद वह अपने पास मोबाइल नही रख सकती हैं। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल व केएम जोसेफ ने इस याचिका को यह बोल कर खारिज कर दिया की उन्होंने इस शर्त के लिए सहमति दी थी।
क्यों लगाई गई थी शर्त
काफी समय पहले झारखंड की एक महिला का अपने पति से विवाद हुआ था, जिसके तहत महिला ने पति के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया था। उसके बाद हाईकोर्ट ने पति व पत्नी दोनों को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा। तब उन दोनों ने आपसी सहमति से तलाक न लेने का फैसला लिया। उसके बाद दोनों में वैवाहिक संबंध मजबूत बनाने के लिए हाईकोर्ट ने दोनों की सहमति के साथ कुछ शर्ते लगाई थी। जिसमें एक शर्त यह थी कि पति अपने पत्नी को अपने मायके में बात करने के लिए एक घंटे के लिए मोबाइल देगा।
हाईकोर्ट की ओर से इस शर्त लगाने का मुख्य मकसद पति पत्नी के जीवन में माता- पिता के दखल को रोकना था। इस आदेश पर दोनों ने एक साथ ही सहमति दी थी। जबकि अब महिला का कहना है कि हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई इस शर्त के लिए उसने अपनी सहमति नही दी थी। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि अगर महिला चाहे तो हाईकोर्ट जा कर केस फाइल कर सकती हैं।
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