अच्छी सेहत के लिए दिनभर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरूरी है। मगर, क्या आपने कभी सोचा है कि पीने वाला साफ पानी भी आपको कैंसर का शिकार बना सकता है। भले ही आप सरकारी टैंक से सप्लाई होने वाला या वाटर पंप के पानी का यूज करते हो लेकिन इसमें मौजूद तत्व भी आपको कैंसर जैसी बीमारी दे सकते हैं। ऐसा हम नहीं, बल्कि हाल ही में हुए शोध में कहा गया है।
क्यों सुरक्षित नहीं आपके पीने का पानी...
इस शोध में 1 लाख से ज्यादा कैंसर के मामलों में पीने के पानी को दोषी पाया गया है, जिसमें ज्यादातर मामले भारत के ही हैं। सरकारी टैंक द्वारा सप्लाई, वाटर पंप, हैंड पंप, ट्यूब वेल आदि के द्वारा पानी सीधे जमीन से बाहर निकाला जाता है। सरकारी टैंक से आने वाले पानी को लोग इसलिए सुरक्षित मानते हैं कि इसे 'ट्रीट' करने के बाद सप्लाई किया जाता है। मगर ये पानी भी उतना सुरक्षित नहीं है, जितना कि आप इसे मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी में कुछ ऐसे तत्वों मिले हैं, जो आपको कैंसर कोशिकाओं को बढ़ावा देकर इस बीमारी का कारण बनते हैं।
'साफ पानी' भी नहीं है सुरक्षित
हर देश में पानी का अपना 'क्वालिटी स्टैंडर्ड' होता है, जिसमें तय किया है कि पीने के पानी में कितनी मात्रा में कौन सा तत्व होना चाहिए। जमीन से निकलने वाले पानी में भी कई तत्व होते हैं। इनमें से कुछ तो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन कुछ से बीमारियों का खतरा रहता है।
Environmental Protection Agency (EPA) के अनुसार, पानी में 90 से ज्यादा ऐसे दूषित पदार्थ होते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। बात अगर वॉटर प्यूरिफायर की करें तो उससे कुछ दूषित तत्व तो बाहर निकल जाते हैं लेकिन यह पूरी तरह से पानी को शुद्ध नहीं कर पाता। वहीं कुछ प्यूरिफायर में पानी को शुद्ध बनाने के लिए यूज होने वाले केमिकल को वैज्ञानिकों हानिकारक मानते हैं।
पानी में 22 तत्व पाए गए, जिनसे होता है कैंसर
इस अध्ययन के मुताबिक, पीने के पानी में 22 ऐसे तत्व पाए गए, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ावा देते हैं। इनमें से ज्यादातर कैंसर का कारण 'आर्सेनिक' है। वहीं कुछ पानी को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल होने वाले बाई प्रोडक्ट भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
आपके पानी में कितना है आर्सेनिक?
आर्सेनिक जमीन के नीचे प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला तत्व है। EPA के मुताबिक, 1 लीटर पानी में 0.01 मि.ली. आर्सेनिक होना चाहिए। जबकि WHO के अनुसार, पानी में 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से ज्यादा आर्सेनिक नहीं होना चाहिए। भारत के लगभग सभी राज्यों के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक की मात्रा WHO और BIS दोनों की तय लिमिट से ज्यादा पाई जाती है, जोकि खतरे की घंटी है।