महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है, चाहे बात शिक्षा की हो, या सेना हो या फिर पुलिस, आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं। राजनीति से लेकर खेल में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा व योग्यता का परिचय दिया है लेकिन इतनी योग्यता होने के बावजूद भी महिलाओं को अपनी जिंदगी में ऊंचाई को पाने के लिए कई तरह के संघर्ष करने पड़ते हैं। ऐसी ही एक कहानी है सीनियर महिला आईपीएस अफसर रीना मित्रा जी की।
डायरेक्टर के पद के लिए सही दावेदार
सीबीआई के नए डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला हैं। इस पद को पाने के लिए कई अधिकारियों में सीनियर महिला आईपीएस अफसर रीना मित्रा भी शामिल थीं। इस पद के लिए योग्यता के मानदंडो पर वह पूरी तरह से खरी उतरी थीं। अफसर रीना मित्रा का नाम 12 अफसरों की सूची में शामिल था, जिनके नामों पर सलेक्शन कमिटी में विचार होना था। रीना मित्रा होम मिनिस्टरी में बतौर स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्युरिटी) तैनात थीं।
साफ-सुथरा रिकॉर्ड
रीना अपने 35 साल के करियर में विवादों से दूर रहीं और उनका रिकॉर्ड साफ-सुथरा रहा। वह सीबीआई के साथ बतौर सुप्रीटेंडेंट 5 साल काम भी कर चुकी थीं। उनके ऐसे रिकॉर्ड की वजह से वह डायरेक्टर के पद के लिए सही दावेदार थीं लेकिन महज एक दिन की देरी ने उन्हें इस पद की रेस से बाहर कर दिया। दरअसल, सीबीआई डायरेक्टर चुनने के लिए हुई सिलेक्शन कमिटी की बैठक टल गई और बैठक से एक दिन पहले रीना रिटायर हो गईं।
मेहनत के दम पर हासिल की मंजिल
रीना अपने 35 साल की सर्विस के बाद रिटायर हुई। वह खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें देशसेवा का मौका मिला। रीना जब छोटी थी तो उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे जिसकी वजह से वह स्कूल नहीं जा सकती थी लेकिन भाई की मदद से और अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने स्कूल के बेहद संघर्ष भरे दिनों में भी हार नहीं मानी और मंजिल हासिल कर ली। आखिरकार, वह अपनी मेहनत के दम पर पश्चिम बंगाल की पहली महिला आईपीएस अफसर बनीं।
विटिलिगो बीमारी की शिकार
एक वक्त ऐसा भी आया जब रीना को विटिलिगो बीमारी घेरने लगी। इस बीमारी में शरीर में सफेद धब्बे उभरने लग जाते है। ऐसे समय में लोग उनकी शादी के बारे में बाते करने लगें लेकिन रीना के पति उनके बैच मेट हैं। उनके मुताबिक, उनके पति ने उनमें पूरा भरोसा जताया और उनका पूरा -पूरा साथ दिया। उन्हीं की वजह से वह एक अच्छी मां होने के साथ-साथ अपने काम में भी फोकस कर पाई।
आखरी अफसोस लेकिन हौंसला है कायम
रीना ने अपने लेख में बताया कि देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई की मुखिया बनने के लिए वह सभी मापदंडों को पूरा करती थीं। सीबीआई और एंटी करप्शन में अनुभव समेत वह सभी चार क्राइटेरिया को पूरा करती थीं, जो नियमों के मुताबिक सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए जरूरी है। रीना कहती हैं कि सिलेक्शन प्रक्रिया में उस एक दिन की देरी ने उन्हें रेस से ही बाहर कर दिया। वह इस बात को अपने करियर की आखरी चुनौती के रूप में लेती है जिसे वह पार नहीं कर पाई लेकिन रीना का मानना है कि उन्हें सीबीआई का मुखिया मेरिट के आधार पर बनाया जाए, इसलिए नहीं क्योंकि वह महिला थीं। इसलिए क्योंकि वह एक ऐसी महिला थीं जो काबिल थी।
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