आज हर 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है। सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चों में भी यह समस्या काफी देखने को मिल रही है। कुछ बच्चे तो ऐसे भी होते हैं, जिन्हें बचपन में ही डायबिटीज की समस्या हो जाती है। हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रिंयका चोपड़ा के पति निक जोनास ने भी इस बात का खुलासा किया कि वह बचपन में ही डायबिटीज (मधुमेह) की चपेट में आ गए थे। वह 13 वर्ष की उम्र में वह डायबिटीज के शिकार हो गए।
हालांकि बचपन में डायबिटीज होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है लेकिन निक के खुलासे के बाद भारत में बच्चों में डायबिटीज पर ध्यान दिया जा रहा है। हाल ही में जारी हुए नतीजों में भी यह बात सामने आई है कि स्कूल जाने वाली की उम्र में 1 फीसदी बच्चे डायबिटीज के मरीज हैं।
आंखों और किडनियों पर पड़ता है बुरा असर
भारतीय बच्चों में डायबिटीज का कारण ज्यादातर आनुवांशिक होता है। इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल और खान भी बच्चे में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है। डायबिटीज चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि यह बच्चों की आंखों और किडनियों पर बुरा असर डाल सकता है।
किसे बच्चों को होता है अधिक खतरा
-आनुवांशिक यानि परिवार में पहले से डायबिटीज की समस्या होना
-जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो
-मोटे बच्चों में भी इसका खतरा अधिक होता है
-शुगर, चॉकलेट और मिठाई का अधिक सेवन करने वाले बच्चों में
-फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण भी इसका खतरा बढ़ता है।
बच्चों में मधुमेह के लक्षण
इसके कारण बच्चों का शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ता है, जिसके कारण उन्हें
. बहुत ज्यादा प्यास लगती है
. उनकी भूख बढ़ जाती है
. बच्चे थके हुए व सुस्त रहने लगते हैं।
. बिना वजह शरीर कांपना
. वजन कम होना
. धुंधला दिखाई देना
. साथ ही अगर चोट लगने पर बच्चे के घाव भरने में समय लगे तो इसकी जांच जरूर करवाएं।
बच्चों में मधुमेह या डायबिटीज का इलाज
डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। अक्सर निदान के पहले साल में बच्चे को इंसुलिन की कम खुराक दी जाती है, जिसे 'हनीमून पीरियड' कहा जाता है। आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात में इंजेक्शन नहीं दिए जाते, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ रात को इंसुलिन शुरू किया जाता है।
डायबिटीज का पूरा इलाज तो संभव नहीं है, लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है। चलिए अब आपको बताते हैं कि अगर बच्चा डायबिटीज का शिकार है तो उसका ख्याल कैसे रखें...
1. शरीर में इंसुलिन की पूर्ति होना डायबिटीज का खास इलाज है इसलिए समय पर इंसुलिन लेना चाहिए।
2. समय पर ब्लड शुगर टेस्ट करवाते रहें और उसके हिसाब से इंसुलिन की मात्रा घटाते-बढ़ाते रहना चाहिए।
3. समय पर भोजन करने की आदत डालें और साथ ही पौष्टिक आहार खिलाएं।
4. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मिठाई, मैदे वाली सफेद रोटी, पेस्ट्री, सोडा और जंक फूड से बच्चों को दूर रखें।
5. बच्चों को भरपूर पानी पीने के लिए कहें और उन्हें सोडा, जूस या स्क्वैश जैसी ड्रिंक से दूर रखें।
6. बच्चे को नियमित व्यायाम व एक्सरसाइज करने की आदत डालें।
7. उन्हें इंडोर की बजाए आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
8. बच्चे के स्कूल टीचर व फ्रेंड्स को इसकी जानकारी दें, ताकि वह समय पड़ने पर उसकी मदद कर सकें।
9. पेरेंट्स खुद भी शुगर टेस्ट व इंसुलिन का टीका लगाना सीखें।
बच्चे को यह बात समझाएं कि डायबिटीज पर कंट्रोल ही उसे खुलकर जीने में मदद करेगा। बच्चे को घर में भी अलग व्यवहार न दें क्योंकि उसे भी सामान्य जिंदगी जीने का हक है।