हड्डियों का कमजोर होना : महिलाओं को यूं ही कई हैल्थ प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है। इसका कारण काफी हद तक आपके द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही भी है। दिनभर काम के चक्कर में आप इतनी बिजी हो जाती है कि अपने सेहत को इग्नोर कर देती हैं, जिसका परिणाम आपको बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ता है। ब्रैस्ट, यूटेराइन और ओवेरियन कैंसर के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियां टूटने (अस्थि घनत्व) महिलाओं को होने वाली उन्हीं बीमारियों में से है। कई महिलाओं में तो कूल्हा टूटने का खतरा भी लगातार बना रहता है। अगर वह पहले ही कुछ सावधानी बरतें तो इन समस्याओं के खतरे को काफी हद तक कम भी किया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस का कारण (Osteoporosis Causes)
मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं के शरीर में ऑस्ट्रोजन का स्तर गिर जाता है, जिसके कारण अस्थियां कमजोर होने लगती हैं। जिन महिलाओं में अस्थियों का घनत्व तेजी से कम होता है, उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अधिक होता है। मेनोपॉज शुरू हो आप उससे पहले ही अपनी हड्डियों का खयाल रखना शुरू कर दें। इससे आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका कम होगी।
ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम (Osteoporosis Treatment)
जिन महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षण, जैसे हॉट फ्लैशेज नजर आते हैं उन्हें एस्ट्रोजन हार्मोन थेरेपी यानी ईटी करवाने की सलाह दी जाती है। कई बार ऑस्ट्रोजन को प्रोगेस्टेरॉन हॉर्मोन थेरेपी यानी एचटी के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। इन थेरेपी के जरिए मेनोपॉज के लक्षणों को नियत्रिंत करने के साथ हड्डियों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जाता है।
कैसे अस्थि घनत्व को बढ़ाने के लिए
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर होने की समस्या ज्यादा 45-50 उम्र की महिलाओं में दिखाई देती है। मगर जब आपकी उम्र बढ़ रही हो तो आप इस बीमारी को रोक सकती हैं। युवा लड़कियां द्वारा सही लाइफस्टाइल को अपनाकर इस बीमारी के खतरे को आगे चलकर कम किया जा सकता है। इसके खतरे को कम करने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें। संतुलित आहार और व्यायाम भी आपके लिए जरूरी है। इसके साथ ही धूम्रपान और गलत खान-पान जैसी आदतों से दूर रहकर भी आप अस्थि घनत्व की समस्या से बची रह सकती हैं।
जवानी में ऑस्टियोपोरोसिस
हालांकि, यह बुजुर्गों की बीमारी है लेकिन आजकल यह बीमारी महिलाओं को कम उम्र में भी हो सकती है। मगर मेनोपॉज से पहले ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम होता है। युवा महिलाओं में अस्थि घनत्व होने की आशंका कम होती है, जो आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ा देती है। वहीं, कई बार किसी बीमारी या दवाई लेने के कारण भी ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है।
इस बात का रखें ध्यान
महिलाओं और पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Osteoporosis Symptoms) अलग होते हैं, लेकिन यह बीमारी दोनों के लिए ही घातक है। समय रहते आप अपने डॉक्टर से बात कर इस बीमारी के ईलाज के बारे में बात जरूर करें। साथ ही नियमित जांच भी करवाते रहें। स्वस्थ जीवनशैली इस बीमारी के खतरे को कम करने में सहायक होती है।
बोन डेंसिटी टेस्टिंग (Bone Density Test)
45 की उम्र के बाद या मेनोपॉज की स्थिति के बाद महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस की जांच करवानी चाहिए। वहीं, पुरूषों को 50 साल की उम्र के बाद इसकी जांच करवानी चाहिए। युवा लड़कियों को इसकी जांच करवाने की सलाह तब दी जाती है जब उनकी हड्डियां आसानी से टूटने लगे लेकिन तब भी इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कहीं वह कोई दवाई तो नहीं ले रही। बोन डेंसिटी टेस्ट डीएक्सए मशीन पर किया जाता है।