25 APRTHURSDAY2024 5:51:20 PM
Nari

दक्षिण अफ्रीका है विश्व का सबसे बड़ा नेचर रिजर्व

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 20 May, 2019 07:34 PM
दक्षिण अफ्रीका है विश्व का सबसे बड़ा नेचर रिजर्व

'काजा' परियोजना विश्व का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय नेचर रिजर्व है लेकिन दक्षिण अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों में संरक्षण की इस लड़ाई में कदम-कदम पर चुनौतियां हैं। इनमें पर्यटन तथा वन्यजीव संरक्षण के बीच सही संतुलन बनाना भी शामिल हैं। अधिकतर पर्यटक जंगली जानवरों को देखने ही अफ्रीका जाते हैं।

इस परियोजना से रिलेटिड एक कहानी भी सुनने में सामने आई है। असल में पीटर सिंबाडा एक सुबह जागे तो उन्होनें पाया कि रात को उनकी सभी बकरियों को शेरनी खा गई। हालांकि जंगली जानवर पीटर के दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। एक सफारी गाईड के रुप में शेरों की एक झलक पाने के लिए लालायित पर्यटकों को शेरों के व्यवहार के बारे में बताते हुए जंगल की सैर करवाना ही उनका काम है। वह जिम्बावे के ह्वागें राष्ट्रीय उद्दान के करीब एक लॉज में काम करते हैं। उनके अनुसार उनके देश की विरासत ( वन्यजीव) लोगों के लिए खतरा और आय का एक स्त्रोत,दोनों हैं। अफ्रीका में पर्यटकों को आकर्षित करने में भी यहां के वन्यजीवों का ही सबसे बड़ा योगदान है। अनेक पर्यटक तो सिर्फ और सिर्फ जंगली जानवरों को देखने के लिए ही दक्षिण अफ्रीका जाते हैं। 

PunjabKesari

पांच देशों में फैला विश्व का सबसे बड़ा नैचुरल रिजर्व

ह्वांगे राष्ट्रीय उद्दान जिंबावे का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है लेकिन वहीं उससे कहीं बड़ी तथा मबत्वाकांक्षी परियोजना- 'कवांगो जाम्बेजी ट्रासफ्रंटियर कन्जर्वेशन एरिया' यानी 'काजा' का एक छोटा-सा हिस्सा है। 'काजा' विश्व का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक क्षेत्र हैं जो 5 देशों में 5 हजार 20 किलोमीटर में फैला है। इस रिजर्व में 36 राष्ट्रीय उद्दान हैं तथा 2 युनैस्को विश्व धरोहर स्थल-विकटोरिया फॉल्स और ओकावांगो  डेल्टा शामिल हैं। 'काजा' के प्रभारी - नामीबिया, जांबिया, जिंबावे, अंगोला और बोत्सवाना के अधिकारी-सभी देशों की सीमाओं के आर-पार इस रिजर्व की रक्षा के लिए लड़ने के साथ स्थानीय लोगों की इस जैव विविधता तक पहुंच को सुनिश्चित बनाने के लिए प्रयासरत हैं। 

PunjabKesari

जंगली कुत्ता उद्दान

ह्वांगे राष्ट्रीय उद्दन का जंगली कुत्ता केन्द्र एक और उदाहरण है कि कैसे परियोजना ने जानवरों को बचाने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की भी मदद की है। केंद्र के प्रमुख डेविड कुवोगा बताते हैं कि एक छोटे से गांव के बाहरी इलाके में रहने वाले ये जंगली कुत्ते मवेशियों को मार डालते थे। जवाब में ग्रामीणों ने उनका शिकार किया वे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे। अब उनकी संस्था ने शिकारी कुत्तों से परेशान स्थानिय निवासियों के लिए एक हॉटलाइन स्थापित की है। सूचना मिलते ही डेविड अपने साथियों के साथ कुत्तों को पकड़ कर राष्ट्रीय उद्दान में जगह तलाश कर छोड़ देते हैं जहां से वे ग्रामीणों को परेशान न कर सकें। 

PunjabKesari

अवैध शिकार पर नियंत्रण का प्रयास

स्थानीय लोगों द्वारा जंगली जानवरों से कमाई करने का एक तरीका रहा है ' ट्राफी हंटिग ' यानी जंगली जानवरों का शिकार। दुनिया भर के रईस पर्यटक लाखों रुपए खर्च करते हैं ताकि वे उस शिर का खाल का अपने साथ ले जा सकें जिसका शिकार उन्होंने खुद  किया हो। इस तरह के शिकार स्थानीय समुदायों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गए हैं। हालांकि, 2014 में वीत्सवाना में शिकार पर रोक लगने के बाद यहां के समुदायों की आय का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत बंद हो गया। जिम्बावे भी काजा का हिस्सा है परंतु वहां अवैध शिकार काफी अधिक हो रहा है। जिसकी एक वजह बढ़ती गरीबी भी है। ह्वांगे में अवैध शिकार विरोधी टुकडडी का गठन किया गया है जिसके प्रमुख हनोक जुलु रोज 10 पुरुषों और महिलाओं के समूह के साथ पार्क में गश्त लगाते हैं। उनका टुकड़ी भोजन के लिए हिरणों तथा महंगे हाथी दांतो के लिए हाथियों के अवैध शिकार को कम करने का पूरा प्रयास करती है। 

पर्यटन संतुलन पर जोर 

कुछ समय पहले तक काजा परियोजना के लिए मिलने वाले धन का उपयोग अच्छे बुनयादी ढांचे यानि सड़कों या रेंजरों के लिए मुख्यालय के निर्माण और पर्यटन पर लगा दिया जाता था। अब पैसा वाईल्डलाइफ डिस्पर्सल एरियाज पर लगाया जाना है- ऐसे क्षेत्र जहां जानवर बिना किसी बाधा के विचरण कर सकते हैं। इनमें से एक क्षेत्र प्राकृतिक स्वर्ग से कम नहीं है जो पर्यटन उद्दोग से अब तक लगभग पूरी तरह अछूता रहा है। यह वह जगह है जहां जाम्बेजी नदी ( जो आगे विक्टोरिया झरने तक जाती है) पश्चिम जाम्बिया में एक बेहद मनभावन प्राकृतिक आर्शचय सियोमा झरने के रुप में गिरती है। नामीबिया या बोत्सावना  जैसे कुछ अफ्रीकी देशों की तरह जाम्बीया पर्यटकों का स्वर्ग नहीं बन पाया है। सियोमा नगवेजी नैशनल पार्क में साल के कुछ महीने एक भी पर्यटक नहीं आता है। जबकि बोत्सावना के नैशनल पार्क हमेशा पर्यटकों से भरा रहता है। इस तरह के संतुलन को भी काजा परियोजना बदलने की कोशिश कर रही है। 

Related News