कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह में आने वाली हर परेशानी हार मान लेती है। कुछ ऐसी ही कहानी है पश्चिम बंगाल की रहने वाली मौसमी खातून की। जिसकी पढ़ाई में तो दिलचस्पी थी लेकिन पैसों की कमी होने के कारण आगे बढ़ने की राह नहीं मिल रही थी। फिर भी निराश होने की बजाए उसने हिम्मत रखी और मेहनत से पढ़ाई को जारी रखा। उसने हाल ही में डॉ अमिया कुमार बोस मेमोरियल अवार्ड जीता है। जिसमें उसे मेडिकल कॉलेज में स्कॉलरशिप मिली और अब उसका डॉक्टर बनने का सपना पूरा होने में मदद मिलेगी।
मौसमी के लिए यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। उनका परिवार बीड़ी बनाकर गुजारा करता है। इस बारे में मौसमी का कहना है कि एक हजार बीड़ी बनाने से 150 रुपये की कमाई होती है और घर चलाने के लिए हर सदस्य को यह काम करना पड़ता है। उनकी मां दिन-रात मेहनत से काम करती है ताकि बेटी बेटी पढ़ सके। मौसमी भी मां की मदद करना चाहती है लेकिन उसे ऐसा करने नहीं दिया जाता क्योंकि मां को उनकी पढ़ाई की ज्यादा फिक्र रहती है। मां उसे हर समय याद दिलाती है कि उसे अपने लक्ष्य से भटकना नहीं है और पढ़ाई के लिए कढ़ी मेहनत करनी है ताकि स्कॉलरशिप मिल सके।
मौसमी ने दसवीं 83.14 प्रतिशत अंक और बाहरवीं 82.6 फीसदी अंक लेकर पास की थी। शुरू से ही उसका मन मेडिकल की पढ़ाई करने का था और मां भी उसकी काबलियत को अच्छे से पहचानती थी। इस बारे में मौसमी कहती हैं, "मां की शादी तभी हो गई थी जब वे आंठवी कक्षा में थीं... लेकिन पढ़ नहीं पाई। वे हमेशा कहती हैं कि सबसे पहले मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना होगा, उसी के बाद शादी के बारे में सोचेंगें।" इस स्कॉलरशिप को हासिल करने के बाद मौसमी को किताबों और पढ़ाई के बाकी खर्च के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है। वह अब आसानी से अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर पाएंगी।
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