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बचपन में जिन हाथों के लिए सुने ताने उसी को बनाया बबली ने अपनी ताकत

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 14 Nov, 2019 10:36 AM
बचपन में जिन हाथों के लिए सुने ताने उसी को बनाया बबली ने अपनी ताकत

जिंदगी जीना तो आसान बात है लेकिन जिदंगी में एक अलग मुकाम पाना बहुत ही मुश्किल , खास कर जब आपके रास्ते में एक नहीं कई कांटे हो। इन मुश्किलों से वहीं लड़ सकता है जिसमें हिम्मत और मेहनत करने का जज्बा होता है। इसी हिम्मत का उदाहरण है जावरा की रहने वाली बबली गंभीर। गोल्डन हाथों के साथ पैदा हुई 50 साल की बबली इस समय अपना ब्यूटीपार्लर चला रही है। जन्म से ही बबली के हाथ सिर्फ कोहनी तक है और वह मुड़ते नहीं है। 2013 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ 11 अन्य नेशनल अवार्ड हासिल करने वाली बबली ने अपने जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना किया है।

 

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चलिए बताते है आपको बबली गंभीर के जीवन की संघर्ष भरी कहानी

बबली गंभीर ने बताया कि बचपन में जिन हाथों की वजह से उन्हें ताने सुनते पड़ते थे आज उन्हीं हाथों की क्रिएटिविटी के कारण वह पूरे देश में जानी जाती है। जन्म के समय उनकी विकलांगता को देखते हुए उनके पिता के एक दोस्त ने बबली को मारने का सुझाव दिया था लेकिन बबली के पिता ने कहा कि वह उसका गरुर है और उन्होंने अपने दोस्त से हमेशा के लिए नाता तोड़ दिया। बबली के पिता ने बबली को जीवन में कभी भी हार मानने नहीं दी। बबली की यह हालत देख कर उसकी मां हमेशा चिंतित रहती लेकिन उसके पिता ने उसे दूसरा जीवन दिया। उन्होंने बबली को जीवन में आगे बढ़ने और सपने देखने का रास्ता दिखाया लेकिन वह इन सपनों को पूरा करने में बबली का साथ नहीं दे पाए। जब बबली छोटी  थी तब उसके पिता की मृत्यु हो गई।

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बबली ने बताया कि पिता के जाने के बाद उनके जीवन में मुश्किलें बढ़ी लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्हें लेक्चरार की नौकरी भी मिल गई लेकिन उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया क्योंकि बबली वहां पर अपने दिमाग की क्रिएटिविटी को दिखा पा रही थी लेकिन अपने हाथों की नहीं। बबली अपने हाथों से कुछ करना चाहती थी।

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एक बार बबली ने एक महिला को किसी की थ्रेडिंग करते हुए देखा तो बबली ने धागा लेकर प्रेक्टिक्स करनी शुरु की। कुछ ही दिनों में वह धागा चलाना सीख गई और फिर ब्यूटी पार्लर का काम सीखा। इसके बाद भी बबली की मुश्किले कम नहीं हुई, बबली पार्लर खोलना चाहती थी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। तब बबली ने कुछ देर कोचिंग देकर पैसे जोड़े ओर जावरा के छोटे शहर में पहला ब्यूटी पार्लर खोला। आज बबली अपने उन्हीं खूबसूरत हाथों के साथ लोगों को खूबसूरत बना रही हैं जिनके कारण कभी उन्हें और उनके परिवार को ताने सुनने पड़ते थे।  ब्यूटीशियन होने के साथ-साथ बबली इंटीरियर डिजाइनर और पेंटर भी है। यही नहीं वह बहुत अच्छा ढोलक भी बजाती है। वह खुद सिलाई-कढ़ाई करते हुए गाड़ी भी चलाती है।

 

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आज बबली अपने जीवन से बहुत खुश है और दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही। बबली की लाइफस्टोरी यही संदेश देती है कि दुनिया में कोई स्पोर्ट करें या न करें खुद पर विश्वास रख कर आगे बढ़ना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करना चाहिए।

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