संयम और सहनशीलता से भरपूर नारी अपने परिवार में मां , बहन , बेटी , और ससुराल में पत्नी तथा बहू के रूप में अपनी ममता और प्यार का सागर लुटाती है , परिवार में बच्चों से लेकर बड़ों तक की हर मांग हंसते-हंसते पूरा करती है और बीमारी में हर किसी की सेवा करती है । सुबह सबसे पहले उठने वाली और रात को सबसे बाद में सोने वाली नारी अपना वजूद कहीं भूल ही जाती है और बदले में वह किसी से कुछ नहीं चाहती ।
नारी में इतने रूप और भाव समाए हैं कि उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है दिल में प्रेम, आंखों में स्नेह और कई हाथों से झटपट हर काम समेटती हुई वह कोई आम इंसान है ही नहीं , बल्कि कोई जादूगर है । आमतौर पर एक कामकाजी महिला के मुकाबले में घर का कामकाज देखने वाली गृहिणी के बारे में हर किसी की यही सोच होती है कि उसके पास न तो ज्यादा काम ही होता है और न ही वह घर की चारदीवारी से बाहर जाकर कोई जिम्मेदारी वाला काम कर सकती है ।
उसके लिए जिंदगी बेहद आराम भरी होती है । देखा जाए तो एक गृहिणी को घर के काम निपटाते हुए एक पल की भी फुर्सत नहीं मिलती और इन कामों के बदले उसे कोई पेमैंट भी नहीं की जाती । उसके कामों को भले ही महत्व न दिया जाए परंतु उसकी अनुपस्थिति में घर की हालत बिखरी सी हो जाती है। बच्चों के लिए टिफिन तैयार करना , उनका होम वर्क कराना तथा उन्हें एक्स्ट्रा एक्टिीविटीज के लिए क्लासेज में ले जाना जैसे काम एक मां ही कर सकती है । एक मां के रूप में जब वह अपने बच्चों के सिर पर प्रेम, स्नेह और वात्सल्य से भरपूर हाथ रखती है तो उसके दिल की हर चिंता और डर दूर कर देती है । जब वह किसी पुरुष से प्रेम करती है तो उसकी जीवन संगिनी बन कर उसका जीवन और घर दोनों संवार देती है। सुख-शांति का दूसरा नाम ही नारी है ।
सास-ससुर के लिए समय पर खाना, उनकी छोटी-छोटी चीजों का ख्याल रखना तथा मांगने से पहले ही उनके सामने हर चीज हाजिर कर देना, इस बात का प्रमाण है कि उसे दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा एवं देखभाल से आत्मिक सुख मिलता है । यह तो एक महिला ही बता सकती है कि घर चलाने के लिए टाइम मैनेजमैंट की क्या अहमियत है । तभी तो वह सुबह से रात तक क्रमवार काम आरंभ करती है और उसका हर काम समय पर निपटता चला जाता है । यदि वह इसे न समझे तो घर ही नहीं, रिश्ते भी बिखरे-बिखरे लगेंगे ।
- हेमा शर्मा , चंडीगढ़