एक घड़ी वह थी जो न ही आई होती तो अच्छा था, यह निर्भया के परिवार के साथ समाज के बाकी लोग भी सोचते होंगे। एक घड़ी इंसाफ की यह है जिसने दोषियों को सजा देकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया होगा? एक में बात खुशी की है तो एक में गम की..., एक के आने का इंतजार रहता है तो एक के आने पर जिंदगी भर का अफसोस रहता है।
ऐसे ही पलों को हम ‘काश’ का नाम दे देते हैं। नौ माह बाद ही आई यह घड़ी पर निर्भया को इंसाफ तो मिला...। बहुत कानून बने हैं और बहुत से सुधार हुए हैं जिन्होंने नारी सुरक्षा के कदम मजबूत किए हैं परंतु स्वयं आप ने भी तो उस पल अपनी सुरक्षा को लेकर कुछ निर्णय लिए होंगे..., क्या आप स्वयं उन सब का पालन कड़ाई से कर पाती हैं..., क्या आपके मन में वह ज्वाला अभी तक है जो उस समय धधकी थी।
क्या कहा याद नहीं तो आइए हम आपको उन 5 बातों की याद दिलाएं, जो अक्सर आपके मन में भी कौंधती होंगी -
1. काश निर्भया उस खाली बस में न बैठी होती..., यह सवाल आपके मन में बहुत बार कौंधता होगा ? क्या आप भी ऑटो या बस लेते हुए इस बात का ध्यान रखती हैं कि उसमें और सवारियां हों, विशेषकर महिला सवारियां परंतु यदि कम सवारियां हैं तो उसमें न बैठना ही बेहतर है क्योंकि वे लोग चालक के जानकार भी हो सकते हैं और रास्ते में आपसे पहले भी उतर सकते हैं।
(क) भले ही कितनी ही देर हो रही हो, आप उस बस या ऑटो में सफर नहीं करती हैं जो अमूमन खाली हो।
(ख) यह तय करती हैं कि उस बस में कोई पुलिस वाला भी सफर कर रहा हो तो वह सेफ है।
(ग) दिन में तो नहीं पर रात के समय खाली ऑटो को अवॉयड कर किसी जानकार या फैमिली मैंबर के साथ ही घर आना प्रैफर करती हैं या फिर प्री-पेड ऑटो स्टैंड से ऑटो लेना पसंद करती हैं।
2. काश! उस दिन वह किसी तरह से इस हादसे का संकेत अपने किसी परिचित को भेज पाती तो ..., बच भी सकती थी।
(क) क्या आपने अपने मोबाइल में चंद नंबर स्पीड डायल पर रखे हैं ताकि जरूरत के समय आप उन्हें एक उंगली के इशारे पर फोन कर पाएं।
(ख) क्या आपके पास पुलिस की महिला हैल्प लाइन का नंबर स्पीड डायल पर सेव है?
(ग) क्या आप ऑटो या बस का नंबर अपने परिवार के किसी सदस्य को एस.एम.एस. करती हैं।
(घ) क्या आपके स्मार्ट फोन में कोई ऐसा एप्प डाऊनलोड है जो आपके एक इशारे पर आपकी लोकेशन परिवार के सदस्य या किसी दोस्त के पास भेज सके ताकि आपका कोई अपना तुरंत वहां पहुंच सके।
3. काश... उस सर्द रात में कोई उसकी मदद कर उसे तुरंत वस्त्र अथवा मैडीकल सहायता पहुंचाता तो वह बच जाती।
(क) सड़क किनारे कोई हादसा हुआ देख क्या आप रुक कर उसे मदद पहुंचाने का कोई रास्ता अख्तियार करती हैं?
(ख) सड़क पर हादसे की शिकार महिला या पुरुष कोई भी हो, आप तुरंत पुलिस एवं एंबुलैंस को फोन कर उस घायल को अस्पताल पहुंचाने के बाद उसके परिवार वालों को भी उसकी सूचना पहुंचाती हैं?
(ग) क्या आप अन्य लोगों की भी चेतना जगा कर उन्हें उस घायल अथवा हादसे के शिकार शख्स की मदद करने को प्रेरित करती हैं?
4. छेड़छाड़ जैसी वारदात को भी अब आप इगनोर नहीं करतीं और पुलिस में इसकी कंप्लेंट कराती हैं ताकि बड़ी वारदातों को रोका जा सके।
(क) छेड़छाड़ करने वाले या फब्ती कसने वाले को आप खरी-खोटी सुनाती हैं तथा अन्य लोगों को भी उसकी हरकत से अवगत कराती हैं जिससे कि वह शर्मिंदा हो वहां से चला जाए।
(ख) ऐसे शख्स को तमाचा मारना ही सही सबक है।
(ग) छेड़छाड़ करने वाले या फब्ती कसने वाले इन्सान की भी पुलिस में कंप्लेंट करनी चाहिए ताकि सजा का डर उसे महिला के साथ किए जाने वाले अपराधों से दूर रख सके।
5. काश! उसने कोई सैल्फ डिफैंस ट्रेनिंग ली होती..., पर क्या आपने कोई ट्रेनिंग लेनी आरंभ की?
(क) जूडो-कराटे की क्लास से बैटर क्या होगा, मैंने तुरंत इसे ज्वाइन कर लिया है इससे काफी कांफीडैंस आया है।
(ख) अपने पर्स में मिर्ची पाऊडर एवं स्प्रे रख लिया है ताकि जरूरत पडऩे पर वह काम आ सके।
(ग) गाड़ी अब अंधेरे में पार्क नहीं करती और गाड़ी में बैठते ही उसे लॉक कर देती हूं ताकि कोई उसमें जबरन बैठ मुझे नुक्सान न पहुंचा सके।
यदि आपने भी ये सब उपाय अपनाए हैं या अपनी सोच को बदला है तो आप सही मायने में एक जागरूक महिला हैं ताकि किसी भी संवेदनशील परिस्थिति में स्वयं का बचाव किया जा सके।