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सावधान! इस उम्र के बाद महिलाएं हो सकती हैं इन 4 बीमारियों का शिकार

  • Updated: 03 Jun, 2018 04:06 PM
सावधान! इस उम्र के बाद महिलाएं हो सकती हैं इन 4 बीमारियों का शिकार

इस भागदौड़-भरी लाइफ के कारण महिलाएं अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाती है। मगर बढ़ती उम्र का असर सिर्फ चेहरे पर ही नहीं बल्कि सेहत पर भी पड़ता है। 40-45 की उम्र के बाद महिलाओं को कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। क्योंकि 40-45 साल की आयु के बाद उनके शरीर में मेनोपॉज के लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसके कारण महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए उम्र के इस पड़ाव पर महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। आज हम आपको बताएंगे कि उम्र के इस पड़ाव पर महिलाओं को किन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है और आप किस तरह इससे बच सकती हैं।
 

1. हड्डियों का कमजोर होना
मेनोपॉज़ की शुरुआत से पहले कुछ महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, ज्य़ादा ब्लीडिंग, यूटीआइ, हॉट फ्लैशेज़ और डिप्रेशन जैसी समस्या हो जाती है। इसके साथ ही पीरियड्स बंद होने के बाद महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है, जोकि हड्डियों के कवच की तरह काम करता है। इसकी कमी के कारण महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लग जाती है।

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बचाव
हड्डियों को कमजोर होने से बचाने के लिए शरीर में कैल्शियम की कमी न होने दें। अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा दूध, हरी सब्जियों, डेयरी उत्पाद और फलों को शामिल करें। इसके अलावा पर्सनल हाइजीन काखास ख्याल रखें।अगर पीरियड्स में कोई भी असामान्य लक्षण दिखाए दे तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
 

2. ब्रैस्ट कैंसर का खतरा
40-45 साल की आयु के बाद महिलाओं को ब्रैस्ट और एंडोमिट्रीयल कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए इस उम्र में ब्रेस्ट एग्ज़ैमिनेशन और पेप्सस्मीयर टेस्ट ज़रूर करवाएं। इसके अलावा इस समस्या से बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज, हैल्दी डाइट को फॉलो करें और अपने बढ़ते वजन को कंट्रोल करें। अकेलेपन से बचें क्योंकि इस दौर में हॉर्मोन संबंधी असंतुलन की वजह से डिप्रैशन का खतरा भी बढ़ जाता है।

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3. डायबिटीज
वैसे तो आजकल हर कोई डायबिटीज की समस्या से परेशान है लेकिन इस उम्र के बाद महिलाओं को टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है। डायबिटीज होने पर पैंक्रियाज़ से इंसुलिन नामक ज़रूरी हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है। यह हॉर्मोन भोजन से मिलने वाले कार्बोहाड्रेट, शुगर और फैट को एनर्जी में बदलने का काम करता है। मगर इसकी कमी से ग्लूकोज़ का स्तर बढने लगता है और लंबे समय तक शरीर में रहने के बाद यह विषैला हो जाता है। इससे महिलाओं को किडनी, आंखों कमजोर होना, त्वचा की समस्याएं और हार्ट अटैक की संभावना बनी रहती है।

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बचाव
मिठाई, चॉकलेट, जंक फूड, चावल, आलू, घी-तेल और मीठे फल भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं। इसलिए इनसे दूर रहें। नियमित सैर और एक्सरसाइज़ करने के साथ अपने बढ़ते वज़न को कंट्रोल करें। एक ही बार ज्यादा भोजन लेने के बजाए हर 2 घंटे के बाद थोड़ा-थोड़ा खाएं। नियमित रूप से शुगर की जांच कराएं।
 

4. दिल से जुड़ी बीमारियां
वैसे तो बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को दिल की बीमारियों का खतरा रहता ही है। मगर जिन महिलाओं को ब्लडप्रैशर और डायबिटीज की समस्या एक साथ होती है उन्हें दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता। दरअसल, खान-पान की गलत आदतों और अनियमित दिनचर्या के कारण हृदय की धमनियों की भीतरी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल का जमाव शुरू हो जाता है। ऐसे में पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए दिल को काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसके कारण वह धीरे-धीरे कमजोर होने लग जाता है। दिल की बीमारियां होने से हार्ट अटैक की आंशका भी बढ़ जाती है।

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बचाव
40 की उम्र के बाद नियमित रूप से ब्लडप्रैशर, शुगर और बीपी चेकअप करवाएं। इसके अलावा अपने खान-पान और स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाएं। रोजाना नियमित एक्सरसाइज करें। अगर आपके परिवार में इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री रही है तो साल में एक बार ईसीजी अवश्य करवाएं।

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