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मां ने दी बेटी को अपनी कोख, फिर उसी कोख से पैदा हुई नातिन

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 02 Sep, 2019 01:45 PM
मां ने दी बेटी को अपनी कोख, फिर उसी कोख से पैदा हुई नातिन

आपने लीवर, गुर्दे, दिल आखें ट्रांसप्लांट होने के केस तो सुने ही होगें लेकिन क्या कभी यूटेरस यानि गर्भाशय प्रत्यारोपण की बात कम ही सुनी होगी। जी हां, जो महिलाएं मां बनने की उम्मीद पूरी तरह से छोड़ चुकी है उनके लिए गर्भाशय प्रत्यारोपण बहुत ही अच्छी तकनीक हैं। यह महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद है। इस माध्यम से भारत में पहला बच्चा पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में पैदा हुआ था।

मां ने बेटी को दी कोख, उसी से पैदा हुई बेटी

भारत में पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में गर्भाशय प्रत्यारोपण के जरिए एक बच्ची ने जन्म लिया था। यहां 17 डॉक्टर्स की टीम ने बच्ची की मां में उनकी नानी का गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया था। इस माध्यम से जन्म लेने वाली यह देश की पहली बच्ची थी। मीनाक्षी का गर्भाशय डैमेज होने के कारण उसमें उसकी मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया था। महिला की डिलीवरी नवंबर में होनी थी लेकिन मां का बीपी व ब्लड शुगर बढ़ने के कारण सिजेरियन के माध्यम से डिलीवरी की गई। जन्म के दौरान बच्चे का वजन 1.450 किलोग्राम था। भारत के इस केस से पहले भारत में ऐसे 11 केस हो चुके है जिसमें से 9 स्वीडन व 2 अमेरिका में हुए थे। 

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चलिए आज हम आपको इस तकनीक के बारे में जानकारी बताते है।

जानिए क्या है यह तकनीक

इस तकनीक में महिला के अंदर नया गर्भाशय ऑपरेशन के माध्यम से रखा जाता है ताकि वह मां बन सके। इसके लिए एक महिला दूसरी महिला को अपनी मर्जी से अपना गर्भाशय डोनेट करती हैं। 

क्यों पड़ती हैं जरुरत 

इस प्रक्रिया की जरुरत तब पड़ती है जब महिलाओं का गर्भाशय डेमेज हो जाता है या गर्भाशय कैंसर या किसी और वजह से निकाला जा चुका है। अगर वह मां बनना चाहती है तो उनमें किसी दूसरी महिला का गर्भाशय प्रत्यारोपण किया जा सकता है। यह सबसे पहले 2014 मेें स्वीडन में किया गया था। 

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किस तरह होता है ऑपरेशन

इसमें गर्भाशय देने व लेने वाले दोनों महिलाओं को बड़े ऑपरेशन का सामना करना पड़ता है जिसकी प्रक्रिया तकरीबन 10 घंटे की होती है। इसमें काफी खतरा बी होती हैं। ऑपरेशन के दौरान यूटरस के साथ फैलोपियन ट्यूब्स को भी बाहर निकाला जाता है, ताकि उस धमनी को खोजा जा सकते जो गर्भाशय तक खून पहुंचाती हैं। इन मामलों में ज्यादातर मां ही अपनी बेटी को गर्भाशय देती हैं। इसके बाद महिला के अंडाणु ले कर इनविट्रो तकनीक से उन्हें फर्टिलाइज किया जाता है उसके बाद उन्हें भ्रूण में ट्रांसप्लांट किया जाता है। 

 

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