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Women Power: सड़क हादसे में मानसी ने खो दिया था पैर, आज हैं पैरा बैडमिंटन की चैम्पियन

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 10 Sep, 2019 12:01 PM
Women Power: सड़क हादसे में मानसी ने खो दिया था पैर, आज हैं पैरा बैडमिंटन की चैम्पियन

जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं होती है जो कि आपके मन पर बहुत ही गहरी छाप छोड़ देती है। यह छाप इतनी गहरी होती है कि कई बार व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आपको इस घटना से पूरी तरह टूट जाना है या हिम्मत दिखा कर जीवन में आगे बढ़ना हैं। एक सड़क हादसे में अपना पैर खोने के बाद पेरा बैडमिंटन प्लेयर मानसी जोशी ने न केवल अपनी हिम्मत से अपना नाम को रोशन किया बल्कि देश को भी नई पहचान दिलवाई।  हाल ही में उन्होंने बीडब्लयूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता पैरा बैडमिंटन में गोल्ड मैडल हासिल किया। चलिए बताते है उनके इस सफर के बारे में .... 

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पुलेला गोपीचंद की हैं शिष्य

 मानसी जोशी इलेक्ट्रिॉनिक इंजीनियर है। मानसी इससे पहले तीन बार पारुल के साथ कोर्ट में भीड़ चुकी है, लेकिन हर बार उसे हार ही मिलती थी। इस बार पारुल को हार कर मानसी ने गोल्ड हासिल किया है। मानसी भी पुलेला गोपीचंद अकेडमी से ही ट्रेनिंग लेती हैं। यहीं से पीवी सिंधु भी ट्रेनिंग लेती हैं। 6 साल की उम्र से ही वह अपने पिता के साथ बैडमिंटन खेलती थी। इंजीनियरिंग करने के बाद भी उन्होंने बैडमिंटन जारी रखा पर उन्हें यह नही पता था कि यही बैडमिंटन एक दिन उनका करियर बन जाएगा। 

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एक्सिडेंट में खो दिया था पैर

मानसी शुरु से ही काफी स्ट्रांग रही हैं। असली हिम्मत उन्होंने तब दिखाई जब एक्सीडेंट के दौरान अपना पैर खो दिया था। 2011 में ऑफिस जाते समय एक सड़क हादसे में उन्होंने अपना पैर खो दिया था। इतना ही नही उनकी दोनो बाजू क्षतिग्रस्त हो गई थी व पूरे शरीर पर कई जगह चोट लगी थी। इतना ही नही उन्हें अस्पताल पहुंचने में 10 घंटे लगे औप 12 घंटे तक उनका ऑपरेशन चला था। उनकी चोट गैग्रीन न बन जाए इसलिए डॉक्टर्स ने उनका पैर काट दिया था। इसके बाद वह पिछले 5 साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थी। जिस कारण उनका वर्कआउट काफी कम हो गया हैं।  अब वह अपने लिए नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का इस्तेमाल कर रही है।

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खेल को समर्पित किया जीवन 

अस्पताल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन खेल को ही समर्पित कर दिया। तकरीबन 50 दिन के बाद वह अस्पताल से बाहर आई थी। उसके बाद अपना सारा समय खेल को देकर वह न केवल देश की बल्कि दुनिया की पैरा बैडमिंटन खेल की चैंपियन बन गई। 

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फिटनेस पर किया ध्यान केंद्रित

खुद को गेम्स के अनुसार फिट बनाने के लिए मानसी ने बहुत ही कठिन ट्रेनिंग की हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि, एक दिन वह तीन सेशन ट्रेनिंग के करती थी। वजन को कम करके मांसपेशियों को मजबूत बनाया। जिम में अधिक समय व्यतीत करते हुए 1 हफ्ते में ट्रेनिंग के 6 सेशन किए। इतना ही नही इसके साथ अपने गेम को अच्छा करने के लिए स्ट्रोक्स पर किया। मानसी का मानना है कि कृत्रिम अंग पर लगाए जाने वाला शुल्क, जीएसटी को माफ किया जाना चाहिए। इनकी कीमत 20 से 25 लाख होती है, हर 5 साल में इसे बदलने की जरुरत होती हैं। इतना ही नही इनका किसी भी तरह का बीमा नही होता है, दुनिया में कोई भी ओर चीज लो तो उसका बीमा किया जाता है लेकिन इनका नही होता हैं। 

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