कैंसर के मामले दुनिया भर में तेजी से फैल रहे हैं। इस लाइलाज बीमारी के चपेट में आने से कई लोग अपनी जाम गवां चुके हैं। इस मामले में दुर्भाग्य की बात यह है कि लोगों को बीमारी का पता लास्ट स्टेज में चलता है। इतनी देरी से पता चलने पर इलाज करवाना भी असंभव हो जाता है।
80 फीसदी लोग कैंसर जीन्स से अनजान
कैंसर के मामले में 50,000 लोगों पर की गई एक नई स्टडी के मुताबिक पता चला कि दुनियाभर में 80 फीसदी लोग अपने जेनेटेकली कैंसर के खतरा से अनजान होते हैं।
चैकअप में देरी है कारण
कैंसर के बारे में समय पर पता न चलने के पीछे की वजह रूटीन चेकिंग का अभाव है। ज्यादातर लोगों को कैंसर डायग्नोसिस के बाद ही इस बीमारी का पता चलता है कि उनके जींस में कैंसर से संबंधित वैरिएंट्स हैं।
रूटीन चैकअप करते हैं इग्नोर
बहुत लोग ऐसे हैं जो रूटीन चेकअप को नजरअंदाज करते हैं। इस बारे में यूएस की येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकेल मुरे का कहना है कि लोगों को टेस्ट कराने के लिए किसी ट्रेजडी के होने तक का इंतजार करना पड़ता है।
18 फीसदी लोगों को थी कैंसर की जानकारी
इस स्टडी में शामिल लोगों में शामिल 276 लोगों में BRCA रिस्क वैरिएंट मौजूद था। इसमें से सिर्फ 18 फीसदी लोगों को स्टडी से पहले कैंसर रिस्क फैक्टर के बारे में मालूम था। जबकि इस शोध के नतीजे आने से पहले BRCA पॉजिटिव मरीजों में से 47 फीसदी को BRCA से संबंधित कैंसर था।
जीनोमिक स्क्रीनिंग से कम हो सकता है मौत का आंकड़ा
मुरे के मुताबिक, कैंसर रिस्क की पहचान हो जाने पर शुरुआती डायग्नोसिस और प्रिवेंशन के लिए कदम आगे बढ़ सकते हैं। कैंसर के मामलों को इस 31 फीसदी के फर्क को एक कदम में बदला जा सकता है। जीनोमिक स्क्रीनिंग के जरिेए कैंसर से होने वाले मौत के आंकड़े को कम करने में मदद मिल सकती है।
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