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60 प्रतिशत महिलाएं हैं थाइराइड की शिकार, बचाएंगे ये 5 आयुर्वेदिक नुस्खे

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 07 Aug, 2019 04:13 PM
60 प्रतिशत महिलाएं हैं थाइराइड की शिकार, बचाएंगे ये 5 आयुर्वेदिक नुस्खे

थाइराइड की गड़बड़ी आम बात हो गई हैं। सारी दुनिया में कोई 20 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटैक्नालॉजी इंफॉर्मेशन(N.C.B.I) के अनुसार भारत में करीब 4.2 करोड़ लोग थायराइड से संबंधित गड़बड़ी के शिकार है। इनमें 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। भारत में प्रत्येक आठ युवा महिलाओं में एक में थाइराइड की गड़बड़ी हैं और देखा गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह ज्यादा होता हैं। 

क्या हैं थाइराइड की गड़बड़ी?

थाइराइड ग्लैंड गर्दन पर सामने तितली के आकार की ग्रंथि हैं जो हॉर्मोन बनाती हैं। ये हॉर्मोन शरीर के भिन्न अंगों के उपयुक्त काम-काज के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये शरीर के मेटॉबोलिक रेट के साथ-साथ कार्डियक और पाचन संबंधी कामकाज को नियनमित रखते हैं। मस्तिष्क का विकास, मांसपेशियों पर नियंत्रण और हड्डियों का रख-रखाब भी ऐसी स्थिति है जो थाइराइड ग्लैंड के कामकाज या सरंचना को प्रभावित करती हैं। थाइराइड सेल्स की गड़बड़ी से नोड्यूल्स बन सकते हैं जो मामूली और नुकसान ना करने वाले हो सकते हैं। 

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महिलाओं को क्यों होता हैं थाइराइड?

थाइराइड की ज्यादातर गड़बड़ी जिसमें मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होती हैं जो थाइराइड ग्रंथि को या तो नष्ट करती है या प्रेरित करती है। भिन्न अध्ययनों के मुताबिक अन्य ऑटो इम्युन डिजीज जैसी सेलियैक डिजीज, डायबिटीज मेलीटस टाइप, इनफ्लेमेट्री बोवेल डिजीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस और रूमेटायड अर्थराइटिस महिलाओं में आम हैं। इन बीमारियों का पता लगाने और इलाज में अक्सर देरी होती हैं क्योंकि भिन्न लक्षणों का पता लगाना मुश्किल है। ऑटो इम्यून बीमारियों, आयोडीन की कमी के अलावा महिलाओं में थाइराइड की और भी गड़बड़ियां हो सकती हैं। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी ज्यादा होती हैं क्योंकि ऐेसे समय में शरीर को ज्यादा आयोडीन की कमी जरूरत होती हैं। आयोडीन की कमी से थाइराइड हार्मोन के स्तर में कमी हो सकती है और इससे भिन्न गड़बड़ियां होती है। 

क्या हैं हाइपोथायरोडिज्म?

हाइपोथायरोडिज्म तब होती हैं जब थाइराइड ग्रंथि की सक्रियता कम होती है और सामान्य के मुकाबले कम हार्मोन बनता है। इससे शरीर में हार्मोन और मेटाबोलिज्म का संतुलन गड़बड़ हो जाता है। महिलाओं में हाइपोथायरोडिज्म के सबसे आम कारणों में से एक हैं ऑटोइम्युन डिजीज जिसे हैशीमोटोज डिजीज कहा जाता है। इसमें एंटीबॉडीज धीरे-धीरे थाइराइड को लक्ष्य करते है और थाइराइड हार्मोन बनाने की इसकी क्षमता को नष्ट कर देते हैं। अनुमान है कि 11 महिलाओं में से एक अपने जीवनकाल में हाइपोथाइराइड हो जाएगी। 

कब होती है हाइपरथायरोडिज्म?

हाइपरथायरोडिज्म तब होती है जब थाइराइड ग्रंथि की सक्रियता बढ़ जाती है और सामान्य के मुकाबले ज्यादा हार्मोन बनता है। ये शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाइपरथायरोडिज्म में थाइराइड ग्रंथि बड़ी हो जाती हैं। इससे शरीर का अचानक वजन कम हो जाता है, ह्रदय की धड़कन तेज या अनियमित हो जाती है। 

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थाइराइड से बचने के आयुर्वेदिक इलाज 
आयोडीन नमक

अपनी डाइट में आयोडीन की मात्रा पर्याप्त रखें क्योंकि इसकी कमी के कारण थाइराइड की प्रॉबल्म ज्यादा आती हैं। इसलिए डाइट में आयोडीन नमक भी शामिल करें। 

साबुत धनिया

एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिया रात को भिगोकर रख दें। फिर सुबह इसे पीसकर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग रह जाए तो ठंडा करके इसे खाली पेट पी लें। फिर गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। यह उपचार लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

मुलेठी का सेवन 

जिन व्यक्तियों को थाइराइड की समस्या होती है उन्हें बहुत जल्दी थकान लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एेसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। 
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नारियल तेल

इस बीमारी में नारियल के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं । 1 से 2 चम्मच नारियल का तेल गुनगुने दूध के साथ में खाली पेट सुबह-शाम लेने से भी इस रोग में फायदा होता है।

अलसी का चूर्ण

अलसी का चूर्ण भी थाइराइड की समस्या में काफी काम आता हैं। रोजाना अलसी के 1 चम्मच चूर्ण का सेवन करने से इस बीमारी में काफी फायदा पहुंचाता है। 
 

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