जहां मोटापा महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है वहीं उनमें स्ट्रेच मार्क्स से भी काफी परेशान रहती हैं। महिलाओं में हार्मोनल असंतुल और गर्भावस्था की स्थिति बढ़ते वजन की सबसे बड़ी वजह है, जो स्ट्रेच मार्क्स का कारण भी बनते हैं। ऐसे में आज हम आपको 3 ऐसे नॉन-सर्जिकल तरीके बताएंगे, जिससे आप बिना किसी साइड इफैक्ट्स के चर्बी कम कर सकते हैं। साथ ही इससे आपको सैल्यूलाइट स्किन व स्ट्रेस मार्क्स से भी छुटकारा मिलेगा।
स्ट्रेस मार्क्स के कारण
सबसे पहले आपको बता दें कि स्ट्रेस मार्क्स जो अक्सर महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद हो जाते हैं, उसके कई अन्य कारण भी है जैसे-
. वजन घटाना
. वजन बढ़ना
. बॉडी में बदलाव आना
. हाईट बढ़ना
.डिलीवरी के बाद
इसके अलावा पुरुषों में यह समस्या अधिक मसल्स बिल्डिंग करने के के कारण होती है, जिससे स्किन खिंच जाती है।
स्ट्रेस मार्क्स और चर्बी घटाने का नॉन-सर्जिकल तरीका
स्ट्रेस मार्क्स और पेट की चर्बी घटाने का नॉन-सर्जिकल तरीका भी है, जिसमें तीन तकनीकों का सहारा लिया जाता है।
पहला क्रायोलिपोलिसिस (Cryolipolysis), जिसमें फैट सैल्स को फ्रीज करके तोड़ा जाता है।
दूसरी, रेडियो फ्रीक्वैंसी (Radio Frequency) द्वारा गर्म करके फैट सैल्स को खत्म किया जाता है।
तीसरा अल्ट्रा साऊंड, जिसमें अल्ट्रासोनिक तरंगें शरीर में उन हिस्सों पर निर्देशित होती हैं, जहां एक्स्ट्रा फैट हो। इस प्रक्रिया में लिम्फ प्रणाली के माध्यम से फैट टिश्यू को हटाया जाता है।
कितने सेशन होते हैं?
यह वजन और स्ट्रेस मार्क्स पर निर्भर करता है कि आपको कितने सेशन लेने पड़ेंगे। आमतौर पर इसके 6-8 सेशन लेने जरूरी होते हैं।
डिलीवरी के बाद कब लेना चाहिए ट्रीटमेंट?
डिलीवरी के बाद महिलाओं को यह तभी ट्रीटमेंट तभी लेने चाहिए जब आप बच्चे को स्तनपान करवाना बंद कर दें। दरअसल, कई बार सेशन के दौरान महिलाओं को कई तरह की दवाइयां भी जाती हैं, जो स्तनपान करवाते वक्त नहीं खानी चाहिए। ऐसे में बेहतर होगा कि आप यह ट्रीटमेंट तभी लें जब बच्चा दूध पीना बंद कर दें।
स्ट्रेच मार्क्स से कैसे रखें बचाव
प्रेगनेंसी की शुरूआत में ही अगरस्किन को मॉइश्चराइज रखा जाए तो स्ट्रेच मार्क्स कम हो सकते हैं। साथ ही आप नियमित रूप से नारियल तेल से मसाज भी करें।
इस बात का भी रखें ध्यान
इन ट्रीटमेंट के जरिए फैट सैल्स, स्ट्रेच मार्क्स को खत्म और बाद में ढीली पड़ी त्वचा को सही किया जाता है लेकिन इसके साथ रोगी को व्यायाम, मसल्स ट्रेनिंग तथा सही डाइट लेने के लिए भी कहा जाता है। इसके अलावा भरपूर पानी भी पीएं।
-डा. सीमा सूद/ डा. रमनदीप कौर (डर्मेटोलॉजिस्ट्स)