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वायु प्रदूषण से बढ़ा 28 की उम्र में Lung Cancer का खतरा, यूं करें बचाव

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 02 Dec, 2019 10:40 AM
वायु प्रदूषण से बढ़ा 28 की उम्र में Lung Cancer का खतरा, यूं करें बचाव

आज भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है, जिसका मकसद बढ़ते प्रदूषण और उससे होने वाली बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। भारत में वायु प्रदूषण से फेफड़ों का कैंसर वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, खासकर दिल्ली में। इतना ही नहीं, दिल्ली के प्रदूषण के कारण नॉन स्मोकर में भी इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एक 28 साल की युवती को लंग्स कैंसर हुआ है। 30 साल से कम उम्र में एक नॉन स्मोकर में लंग्स कैंसर का यह एक तरह से पहला मामला है, जिसमें युवती चौथे स्टेज पर पहुंच है। डॉक्टर्स का कहना है कि हर महीने कम से कम 2 मरीज ऐसे देखे जा रहे हैं, जिन्हें नॉन स्मोकर होने के बावजूद भी कैंसर की चपेट में आ रहे हैं।

लंग कैंसर की चपेट में भारत

फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सामने आने वाला सबसे आम कैंसर है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल लंग कैंसर के करीब 67 हजार नए मामले सामने आते हैं, जिनमें 48 हजार से ज्यादा पुरुष और 19 हजार से ज्यादा महिलाएं शामिल होती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने शुरुआती 30 के दशक में धूम्रपान न करने वाले व्यक्तियों में हर महीने 2-3 फेफड़े के कैंसर के मामले देखे हैं लेकिन 20 के दशक में यह पहला मामला है।

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दिल्ली में पोल्यूशन का लेवल

बता दें कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर साल 2018 में 113.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर औसत सलाना पीएम 2.5 सांद्रता तक पहुंच गया था, जिसके बाद इसमें लगातार बढ़ेतरी ही हुई है। दरअसल, सिगरेट में 70 केमिकल्स ऐसे होते हैं जो लंग्स कैंसर का कारण बन सकते हैं। वहीं ये सारे केमिकल दिल्ली की हवा में भी हैं। ऐसे में जब रोज 10 हजार लीटर हवा सांस के जरिए लोगों के शरीर में जाती है, तो वो भला लंग्स कैंसर से कैसे बच सकते हैं।

इन बीमारियों का भी बनता है कारण

वायु प्रदूषण ना केवल लंग्स कैंसर बल्कि अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और एलर्जी का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, लगातार बढ़ता प्रदूषण सांस की बीमारी को भी बढ़ा सकता है और जिसे पहले सांस संबंधी बीमारी है उनके लिए तो यह और भी खतरे की बात है।

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क्या है फेफड़े का कैंसर?

यह एक ऐसा कैंसर है, जो फेफड़ों में शुरू होता है। शरीर में दो फेफड़े होते हैं। इनमे से किसी एक की भी कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होने के कारण टिश्यूज प्रभावित होने लगते हैं, जिससे लंग कैंसर होता है। फेफड़े का कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो फेफड़ों में शुरू होता है, जिसमें हर साल नॉन-स्मोकर सेल लंग कैंसर (NSCLC) के लगभग 80 से 85% मामलें सामने आते हैं। इसके अलावा लंग कैंसर 4 तरह का होता है...

1. एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
2. स्क्वैमस सेल कैंसर (Squamous cell cancer)
3. बड़े सेल कार्सिनोमा (Large cell carcinoma)
4. नॉन-स्माल सेल लंग कैंसर (Undifferentiated non small cell lung cancer)

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कैंसर के कारण

यूं तो 90% मामलों में इसका कारण धूम्रपान होता है लेकिन आजकल वायु प्रदूषण के कारण भी इसका खतरा बढ़ रहा है। वहीं नॉन-स्मोकर में निष्क्रिय धूम्रपान (सेकंड हैंड स्मोकिंग), रेडियोधर्मी गैसों (रेडॉन), खतरनाक रसायनों और प्रदूषण के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

कैंसर के लक्षण

-थकावट
-खांसी
-सांस लेने में परेशानी
-छाती में दर्द
-भूख कम लगना
-बलगम से खून निकलना
-खांसी के साथ बलगम आना

जहरीली हवा से कैसे करें बचाव?

दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर में रहना और सांस लेना अपने आप में एक लड़ाई है लेकिन अगर थोड़ी-सी सावधानी बरती जाए तो इस कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

1. बाहर निकलने से पहले वायु प्रदूषण के स्तर की जांच करें और मास्क पहनकर घर से बाहर निकले।
2. उच्च यातायात स्तर वाले क्षेत्रों में जाने से बचें । साथ ही लकड़ी या कचरा न जलाएं क्योंकि इससे भी वायु प्रदूषण फैलता है।
3. उच्च वायु प्रदूषण स्तर के दौरान बाहर काम करने से बचें अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
4. थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी पीते रहें, ताकि शरीर हाइड्रेटिड रहें और प्रदूषण से नुकसान न हो। इसके अलावा अपनी डाइट में हरी सब्जियां जूस, नारियल पानी शामिल करें, ताकि फेफड़ें डिटॉक्स हो सकें।
5. घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं, जिससे कि वह प्रदूषण से होने वाली इरिटेशन से बची रहें।
6. घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर की हवा दूषित न हो।
7. गाड़ी, घर या अन्य चीजों की साफ-सफाई के लिए खतरनाक केमकिल आधारित उत्पादों की जगह इको-फ्रेंडली उत्पाद इस्तेमाल करें।

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इसके अलावा आप कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर भी लंग कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं...

1. 2-3 तुलसी के पत्ते, 3 काली मिर्च, 2 लौंग, छोटा टुकड़ा अदरक,चुटकी भर दालचीनी और 1 हरी इलायची को एक कप पानी में उबालकर खाली पेट पीएं।
2. सुबह उठकर पानी में 1/4 चम्मच जीरा, अजवाइन के साथ 4 लौंग डालकर स्टीम लें।
3. छाती में कफ होने पर सरसों के तेल में कपूर डालकर हल्का गर्म करें और छाती पर मसाज करें
4. दोपहर 12 बजे 4 गाजर, 1 टमाटर और 1 आंवले का जूस पीएं।
5. कैंसर से बचे रहने के लिए गुड़ में प्याज का रस मिलाकर सेवन करें यह सूखे और गीले दोनों तरह के कफ में कारगर है।

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याद रखें डाइट और एक्सरसाइज के साथ कुछ बातों का ध्यान में रखकर आप लंग कैंसर के साथ अन् बीमारियों के खतरे को भी कम कर सकते हैं।

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