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भारत में बढ़ती Population को कंट्रोल कर सकती हैं महिलाएं, जानिए कैसे?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 11 Jul, 2019 03:31 PM
भारत में बढ़ती Population को कंट्रोल कर सकती हैं महिलाएं, जानिए कैसे?

हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद दिन ब दिन बढ़ती आबादी के मुद्दों के प्रति लोगों का जागरूक करना है। बता दें कि इस वक्त दुनिया की आबादी 7.7 बिलियन है जो हर दिन, हर घंटे, हर सेकंड बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक महिला औसतन 2.3 बच्चों को जन्म दे रही है। भारत में हर दिन व हर सेकेंड में 5 बच्चे जन्म लेते हैं और 2 लोग मर जाते हैं यानि पॉपुलेशन कम होने की बजाए तेजी से बढ़ रही है।

 

महिलाओं में जागरूकता की कमी है कारण

बढ़ती जनसंख्या का सबसे बड़ा कारण महिलाओं में जागरूकता की कमी है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में इस मुद्दे पर काफी बदलाव आया है लेकिन अभी भी कई महिलाएं है जो बढ़ती जनसंख्या के मुद्दों को लेकर अंजान है, जिसमें गांव की महिलाएं अधिक है। अगर महिलाएं जागरूक हो जाए और कुछ बातों का ध्यान रखें तो बढ़ती आबादी को कंट्रोल किया सकता है।

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कम उम्र में मां बनना है सबसे बड़ा कारण

इसकी वजह से कम उम्र में ही महिलाएं मां बन जाती हैं। जो कि बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए घातक है। रूढ़िवादी समाज में आज भी लड़के की चाह में पुरुष, परिवार नियोजन अपनाने को तैयार नहीं होते। कई बार महिलाओं पर लड़का पैदा करने का दबाव ज्यादा होता है और इसकी वजह से कई महिलाओं को मार भी दिया जाता है। इसके अलावा, लड़कियों को शादी से पहले गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी नहीं दी जाती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण

-लड़कियों को गर्भनिरोधक संबंधी जानकारी ना होना
-कम उम्र में लड़कियों की शादी होना
-लड़कियों में शिक्षा की कमी है सबसे बड़ा कारण
-शादीशुदा जोड़ों पर बच्चे पैदा करने का दबाव। 
-परिवार नियोजन की जानकारी ना होना

चलिए अब हम आपको फैमिली प्लानिंग के उन तरीकों के बारे बताते हैं, जिन्हें अपनाकर आप आबादी नियंत्रण में सहयोग दे सकती हैं...

'परिवार नियोजन' है सबसे आसान तरीका

पहले के समय में महिलाएं अपने पार्टनर से खुलकर बात भी नहीं कर पाती थी लेकिन अब समय बदल गया है। हालांकि अभी भी कुछ महिलाएं इस टॉपिक पर अपने पार्टनर से खुलकर बात नहीं कर पाती लेकिन अब आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। अपने पार्टनर से परिवार नियोजन के बारे में खुलकर बात करें और पॉपुलेशन कम करने में अपना सहयोग दें।

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पहले व दूसरे बच्चे में गैप

महिलाएं 2 बच्चों के बीच कम से कम 5 साल का अंतर रखें और 2 बच्चों से अधिक ना करें, ताकि पॉपुलेशन को कंट्रोल किया जा सके।

कम उम्र में ना करें शादी

सिर्फ गांव ही नहीं, शहरों में भी लड़कियां सैटल होने के लिए जल्दी शादी कर लेती हैं और कम उम्र में ही मां बन जाती है, जो जनसंख्या वृद्धि दर का कारण है। महिलाओं को चाहिए कि वो 25-30 की उम्र से पहले शादी ना करें। वैसे भी मेडिकल टर्म के अनुसार, महिलाओं की शादी की सही उम्र 25-30 और पुरूषों की 28-34 होती है।

बर्थ कंट्रोल इंप्लांट

बर्थ कंट्रोल इंप्लांट बांह में ऑपरेशन के जरिए लगाया जाता है। इसके जरिए प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन शरीर में धीरे-धीरे घुलता है, जिससे 3 साल तक प्रेग्नेंसी से चांसेस कम होते हैं। इसमें महिलाओं को किस भी तरह गोली या इंजेक्शन की टेंशन नहीं होती और इससे किसी भी तरह के इंफैक्शन का डर भी नहीं होता। हालांकि इसकी वजह से कभी-की पीरियड्स पूरी तरह से रुक जाते हैं।

गर्भ निरोधक गोलियां

अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए गर्भ निरोधक सबसे आसान तरीका है। अगर महिलाएं इन्हें समय व सही तरीके से लेती रहें तो प्रेग्नेंसी रोकने में 90% तक असरदार भी होती हैं। हालांकि इन्हें लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसके अलावा अनचाही प्रेग्नेंसी के रोकने के लिए आप इमर्जेंसी पिल्स भी यूज कर सकती हैं, जिसे इंटरकोर्स के तुरंत बाद लेना होता है।

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फीमेल कंडोम

सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाओं की कंडोम भी आती है। आज से दो दशक पहले ही वुमन कंडोम मार्कीट में आ गई थी लेकिन आज भी बहुत सी महिलाएं इसे लेकर अंजान है। बता दें कि परिवार नियोजन के लिए यह भी बिल्कुल सेफ तरीका है।

वेजाइनल रिंग

गर्भनिरोधक गोलियों की तरह परिवार नियोजन के लिए यह रिंग भी बिल्कुल सेफ है। यह डिवाइस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन रिलीज करती है जिससे कॉन्ट्रसेप्शन होता है। इसे इंटरकोर्स के बाद लेना पड़ता है, जिससे यह हॉर्मोन्स को कम मात्रा में रिलीज करती है।

स्टेरेलाइजेशन

यह एक परमानेंट गर्भनिरोधक है, जिसे ऑपरेशन या ट्यूबेक्टॉमी भी कहा जाता है। इसमें सर्जरी के द्वारा उस रास्ते को बंद कर दिया जाता है, जिनसे अंडे स्पर्म से मिलते हैं। यह उन महिलाओं के लिए बेहतर ऑप्शन है, जो आगे चलकर बच्चा नहीं करना चाहती।

IUD (इंट्रा यूटेराइन डिवाइस)

इंट्रा यूटेराइन डिवाइस हो तरह का होता है - टी(T) और यू(U)। इन्हें यूट्रस में लगाया जाता है, जिससे ऑव्युलेशन के बाद अंडे फर्टाइल होने के लिए यूट्रस में नहीं पहुंच पाते। इससे प्रेग्नेंसी के चांसेस लंबे समय तक टल जाते हैं। इसमें महिलाएं 3, 5 या 10 साल तक का विकल्प चुन सकती हैं। अगर आप एक बच्चे को जन्म दे चुकीं है तो यह आपके लिए बेहतर तरीका है।

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