भारतीय संस्कृति में गणेश चतुर्थी एक अलग ही महत्व रखता है। इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 2 सितंबर से लेकर 12 सितंबर तक चलने वाला है। इस पर्व से एक खास तरह की मान्यता भी जुड़ी हुई है, जिसे हमारी हिंदु संस्कृति में अभिशाप माना जाता है। दरअसल, गणेश चतुर्थी के इस पर्व पर चांद को देखना वर्जित माना गया है। हालांकि बहुत कम लोग है जो इस बारे में जानते हैं।
तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी पर चांद देखना क्यों वर्जित है...
चांद को देखने से लगता है कलंक
हिंदू मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चांद बेहद खूबसूरत नजर आता है। इस दिन गणेश भगवान ने चांद को यह श्राप दिया कि जो भी आज के दिन चांद का दीदार करेगा उसे कलंक लगेगा।
भगवान श्री कृष्ण को भी झेलना पड़ा था श्राप
गणेश पुराण के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन खूबसूरत चांद को देख लिया। फिर कुछ ही दिनों बाद उन पर हत्या का झूठा आरोप लगा। श्रीकृष्ण को बाद में नारद मुनि ने बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा है क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के दिन चांद देख लिया।
गणपति बप्पा ने इसलिए दिया था श्राप
गणेश पुराण की कथा के मुताबिक, बप्पा के सूंड़ वाले चेहरे को देखकर एक बार चांद भगवान को हंसी आ गई थी। इसपर गणपति भगवान नाराज हो गए और उन्हें श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि, तुम्हे अपनी खूबसूरती पर बहुत गुरुर है... आज मैं तुम्हे श्राप देता हूं कि आज के दिन तुम्हें जो भी देखेगा उसे कलंक लगेगा। यही कारण है कि आज के दिन चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है।
चांद को मिली माफी लेकिन...
इसके बाद चंद्रमा को अपनी गती का अहसास हुआ और वे घर में जाकर छिपकर बैठ गए। बाद में सभी देवताओं ने चन्द्रमा को मनाया और उन्हें समझाया कि वे मोदक और पकवान बनाकर गणेश जी की पूजा अर्चना करें। इससे भगवन गणेश खुश तो हुए लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप पूरी तरह खत्म नहीं होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को याद रहे कि किसी के रुप रंग को देखकर उपहास नहीं उड़ना चाहिए।
आज रात देखना है चांद तो करें ये काम
जो लोग हाथ में फल या दही कुछ भी लेकर चांद को देखेंगे उन्हें भी कंलक नहीं लगेगा। चांद को देखते समय इस मंत्र को पढ़ना चाहिए- सिहः प्रसेनमवधीत सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
अगर दिख जाए चांद तो क्या करें?
अगर किसी कारण से आप चांद देख लेते हैं तो परेशान ना हो। भागवत की स्यमंतक मणि कथा सुनें और पाठ करें। साथ ही मौली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाएं। फिर इसे गणेश भगवान को चढ़ाएं और पूजा करें। इससे कलंक नहीं लगेगा।
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