मिर्च की जरूरत तो हर किसी को होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि तैयार कौन करता है। बता दें कि इसे तैयार करने वाली ज्यादातर श्रमिक महिलाएं ही होती हैं, जो दिनभर धूप में मजदूरी करने के बाद आप तक इन चीजों को पहुंचाती है। आज मजदूर दिवस (Labour Day) के मौके पर हम आपको उन्हीं महिलाओं के बारे में बताएंगे, जो दिनभर मिर्च के कारखाने में काम करने के बाद भी उफ नहीं करती।
मिर्च के कारखाने में काम करने वाली महिलाएं
खाने में जरा-सी मिर्ची ज्यादा हो जाए तो आंखों से पानी आने लग जाता है लेकिन महाराष्ट्र के नंदूरबार इलाके में महिलाएं दिनभर मिर्ची के कारखाने में काम करती हैं। जी हां, मिर्च के कारखाने में काम करने वाली सुनीता रूपली जैसी 10 हजार महिलाएं दिनभर मिर्च के बीच-बीच बैठकर उन्हें तोड़ने से लेकर कूटने तक काम करती हैं।
45 डिग्री तापमान पर करती हैं काम
कारखाने में काम करने वाली महिलाएं 45 डिग्री तापमान में तीखी मिर्च के बीचो-बीच काम करती है लेकिन उनके मुंह से उफ तक नहीं निकलती। अपनी शुद्धता के लिए मशहूर इस कारखाने में तैयार होने वाली मिर्च से हर साल 200 करोड़ रूपए की इनकम हो जाती है लेकिन इसका फायदा इन महिला मजदूरों को नहीं मिलता।
नहीं होती मिर्ची से जलन
कारखाने में काम करने वाली महिला मजदूर सुनीता वलवी बताती हैं वह कारखाने में काम करते समय उन्हें जलन महसूस नहीं होती लेकिन घर जाकर खाना बनाते वक्त हाथ में चूल्हे की गर्मी सहन नहीं होती। बता दें कि कंपनी की तरफ से हर महिने महिलाओं के तीन मेडिकल चेकअप करवाए जाते हैं लेकिन ये महिलाएं कभी भी जलन की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास नहीं जाती।
220 रु. मजदूरी में करती हैं काम
सुबह 8 से शाम 5 बजे तक, ये महिलाएं बिना रूके काम करती हैं। इनका काम होता है खेत से मिर्ची हाथ से तोड़ना, सुखाना, साफ करना, पीसना और फिर उनकी पैकिंग करना। इसके लिए उन्हें सिर्फ 220 रु. मजदूरी मिलती है। सुनीता कहती है कि अब उन्हें इसका आदत हो गई है। वह अपनी बेटी को भी कारखाने में लेकर आती है। जब सुनीता काम कर रही होती है तो बेटी वहीं मिर्ची के बीच खेलती है।
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