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जानिए कान्हा के मनमोहक स्वरूपों के बारे में , हर रूप से जुड़ा है गहरा महत्व

  • Edited By Nisha thakur,
  • Updated: 03 Sep, 2018 03:29 PM
जानिए कान्हा के मनमोहक स्वरूपों के बारे में , हर रूप से जुड़ा है गहरा महत्व

भगवान श्री कृष्ण के कई रूप हैं। कभी वह माखन चुरा कर गोपियों को परेशान करते थे तो कभी अपनी बांसुरी की धुन पर उनको नाचाते थे। वह अपने भक्तों के दुश्मनों का नाश करके उनकी सारी मुसीबतें दूर करते हैं। आज आप उनको सांवले या नीले रंग को सिर्फ तस्वीरों में देख सकते हैं लेकिन उस समय में उनका यह स्वरूप लोगों को मोहित कर देता था। आज कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम आपको कान्हा के 6 रूपों के बारे में बताएंगे।

 

श्री कृष्ण का हर स्वरूप इतना सुन्दर है कि उसको देखकर मन उत्साह से भर जाता है। इसके साथ ही मन में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। तो आइए देखते हैं कृष्ण जी के स्वरूपों की एक झलक।  

 

1. माखन खाते लड्डू गोपाल

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संतान प्राप्ति के लिए घर में लगाएं माखन खाते लड्डू गोपाल। इसके साथ ही कृष्णा का माखन खाता हुआ चित्र रसोई घर में लगाना वास्तु के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।

 

 

2. सांवले रंग में कृष्ण जी 
कृष्ण जी का जन्म सांवले रंग में हुआ था। उनके सांवले रंग को लेकर कई भजन भी गाए जाते हैं। एक भजन में तो कान्हा जी अपने मां से पूछते भी हैं 'राधा क्यों गौरी मैं क्यूं काला'। 

 

3. नीले रंग वाले कृष्ण जी 
धार्मिक कथाओं में बताया गया है कि यमुना नदी में एक कालिया नामक सर्प रहता था, जिसने पूरे गोकुल गांव में अपना आतंक फैला रखा था। जब श्री कृष्‍ण ने इस सांप से लड़ाई की तो उस सांप से निकले नीले रंग के विष ने श्री कृष्‍ण के शरीर का रंग पूरा नीला कर दिया।

 

3. रासलीला करते कृष्ण जी

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शास्त्रों में उल्लेख है कि इन सभी गोपियों के साथ श्रीकृष्ण ने रासलीला की। रासलीला का मूल भाव नि:स्वार्थ प्रेम ही है। 

 

4. गोपियों और रानियों के कृष्ण
धार्मिक कथाओं के अनुसार कृष्ण जी की 16,100 रानियां और 8 पटरानियां थीं। 

 

 

5. पांडवों को रास्ता दिखाने वाले कृष्ण
पांडवों को रास्ता दिखाने वाले भी वहीं थे अगर कृष्ण साथ ना होते तो शायद वह जीतते ही ना।

 

6. तिरूपति-बालाजी 

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तिरूपति-बालाजी को भगवान श्री कृष्ण का ही एक अवतार माना जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान वेंकेटश्वर तब तक रहेंगे जब तक इस धरती यानी कलयुग का अंत नहीं हो जाता।

 

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