बॉलीवुड में एक्शन को नया आयाम देने वाले वीरु देवगन ने आज सोमवार को आखिरी सांस लीं। बता दें कि वह पिछले कई दिनों से बीमार थे और मुंबई के सांताक्रुज अस्पताल में एडमिट थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वीरु का निधन हार्ट अटैक से हुआ और आज शाम मुंबई के विले पार्ले में 6 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा।
पंजाब के अमृतसर में रहने वाले अजय देवगन के पिता वीरू देवगन ने 1967 में फिल्म 'अनीता' से बतौर स्टंटमैन बॉलीवुड में डेब्यू किया था। उन्होंने सिनेमाजगत में करीब 80 से ज्यादा फिल्मों में एक्शन सीन डायरेक्ट किए थे।
लेकिन मशहूर फाइट मास्टर वीरु ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी स्ट्रगल किया। पैसा कमाने के लिए उन्होंने टैक्सी साफ करने से लेकर कारपेंटर तक का काम किया। यहां तक की जेल की हवा भी खाईं। दरअसल 14 साल की उम्र में वह घर से भागकर मुंबई आ गए थे। स्ट्रगल के दिनों में ट्रेन में बिना टिक्ट के यात्रा करने पर वह पकड़े गए और उनके पास जुर्माना देने के पैसे नहीं थे इसी वजह से उन्हें
जेल की हवा खानी पड़ी थी।
वह हीरो बनना चाहते थे इसके लिए उन्होंने कई स्टूडियोज के चक्कर भी काटे हालांकि इतनी मेहनत के बावजूद वह एक्टर के तौर पर सफल नहीं हुए। कहा जाता है कि एक दिन थक हार कर शीशा देखकर वीरु ने खुद से कहा था कि मेरी शक्ल हीरो वाली नहीं है लेकिन मेरा बेटा जरूर हीरो बनेगा और ऐसा हुआ थी। वीरू देवगन ने बेटे के लिए वो सब किया जो वो कर सकते थे।
उन्होंने हॉर्स राइडिंग से लेकर स्टंट तक की ट्रेनिंग उन्हें दी। अजय जब कॉलेज गए तो उनके लिए डांस क्लास लगाई गई। उन्हें उर्दू सिखाई गई और फिर 'फूल और कांटे' से अजय का डेब्यू हुआ। उस वक्त फिल्म सुपरहिट साबित हुई और साथ ही सफल हुई वीरु देवगन की मेहनत।
अजय की पहली फिल्म ‘फूल और कांटे’ में भी वीरू ही स्टंट और एक्शन कोरियोग्राफर थे। अजय देवगन ने बताया कि पिता की वजह से उन्हें स्ट्रगल कभी नहीं करना पड़ा। हां, उन्होंने जमकर मेहनत की है।
वीरू देवगन वैसे स्टंट और एक्शन कोरियोग्राफर होने के साथ-साथ प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और राइटर भी थे। 1999 में 'हिंदुस्तान की कसम' फिल्म को डायरेक्ट भी किया। बेटे अजय देवगन की फिल्म 'जिगर'के राइटर भी वहीं थे।