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दहेज के दो रूप, एक ने लिया 1 रुपया तो दूसरे ने छीन लिए दोनों हाथ

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 05 Mar, 2019 07:13 PM
दहेज के दो रूप, एक ने लिया 1 रुपया तो दूसरे ने छीन लिए दोनों हाथ

अक्सर खबरें सुनने को मिलती है कि ससुराल वालों ने दहेज के लिए बहू को प्रताड़ित किया। ऐसी खबरें सुनकर मन खट्टा हो जाता है और मन में ख्याल आता है कि दहजे का कीड़ा आखिर कब मरेगा। मगर इन सबके बीच कई बार ऐसी खबरें भी सुनने को मिलती है, जिन्हें सुनकर उम्मीद की किरण बंधने लगती है। 

 

दहेज में लिया 1 रुपया तो हेलीकॉप्टर में करवाई विदाई

हाल ही में हरियाणा में एक ऐसी शादी देखने को मिली, जो लीक से हटकर है। दरअसल, कुछ दिनों पहले हरियाणा के हसनगढ़ में एक शादी हुई, जिसमें दुल्हे (संजय) के परिवार ने दहेज में महज 1 रूपया लिया वो भी शगुन के तौर पर। इतना ही नहीं, दुल्हन (संतोष) की विदाई भी कार या डोली में नहीं बल्कि हेलीकॉप्टर में करवाई गई। संजय के परिवार ने शादी से पहले ही कह दिया था कि उन्हें दहेज के तौर पर कुछ नहीं चाहिए।

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वहीं गुहाना के एक गांव में भी इस तरह की शादियां हुई। यहां एक परिवार की दो बेटियों की एक साथ शादी हुई। इनके पिता पेशे से सिक्योरिटी गार्ड है। लड़कों के परिवार वालों ने शादी से पहले ही दहजे लेने से मना कर दिया था। इन्होंने भी शगुन के तौर पर लड़की के पिता से सिर्फ 1 रूपए दहजे में लिए और दोनों अपनी दुल्हन को हेलीकॉप्टर से विदा कर ले गए।

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दहेज के लिए काटे पत्नी के हाथ

यह शादियां उस सोसायटी के लिए बेहद खास है, जो आज भी दहेज के लिए लड़कियों को यातनाए देते हैं। भले ही ऐसी शादियां समाज के लिए नई राह खोल रही हो लेकिन आज भी कई जगहों पर लड़कियों को दहेज के लिए परेशान किया जाता है। ऐसी ही कहानी है राजस्थान की मंजू की। मंजू के परिवार ने 15 साल की उम्र में उनकी शादी करवा दी थी लेकिन उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए ताना मारते थे। घर खर्च के लिए मंजू बाहर काम करने लग गई।

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एक दिन वह काम से जल्दी आ गई और उसने अपने पति को आपत्तिजनक हालात में देख लिया। फिर मंजू ने उसका विरोध किया लेकिन उसका पति उसे पीटने लगा और उसके दोनों हाथ काट दिए। इतना ही नहीं, मंजू को मरा हुआ समझ उसके पति ने उसे रेलवे ट्रेक पर फेंक दिया, जहां से किसी व्यक्ति ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। इसके बाद मंजू ने अपने पति को सजा दिलवाने का फैसला किया। वह पिछले 17 साल से इंसाफ के लिए लड़ रहीं हैं लेकिन अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है। फिलहाल मंजू महिला विभाग में महीने के तीन हजार रूपए कमाती है, जिससे वह खुद का और अपने बेटे का गुजारा करती हैं।

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