जहां बेटी अपने पिता के लिए बोझ होती हैं वहीं दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी शामिल है, जो अपनी बेटियों को परियो की तरह ना सिर्फ पालते हैं बल्कि ऊंचाइयों तक पहुंचने में उनका साथ भी देते हैं। 20 जून यानि कल फादर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। हम भी आज आपको देश की कुछ ऐसी ही बेटियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कामयाबी के पीछे उनका पिता का हाथ है। तो चलिए आपको बताते हैं लोगों के मिसाल बने ऐसे पिता की कहानी, जिन्होंने अपनी बेटी को खुले आसमान में लिए पंख और हौसला दिया।
अजीत बजाज - दीया बजाज
गुरूग्राम के अजीत बजाज और दीया बजाज की पिता-पुत्री की जोड़ी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली भारत की पहली जोड़ी है। जहां कुछ लोग बेटी के होने का दुख मनाते है वहीं, अजीत बजाज अपनी बेटी के साथ एवरेस्ट की चढ़ाई कर लोगों को यह संदेश दिया कि सही अवसर मिलने पर लड़कियां भी उच्चतम शिखर तक पहुंच सकती है। बता दें कि इस बाप-बेटी का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है।
हरवीर सिंह - सानिया नेहवाल
दुनिया की नंबर 1 बैडमिंटन प्लेयर रह चुकीं साइना नेहवाल अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पापा को देती हैं। साइना बताती हैं कि पापा ने खेल के दौरान किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी और ट्रेन व होटल का खर्च जुटाने के लिए उन्होंने PF से भी पैसे निकाले। इंटरनैशनल टूर्नामेंट के दौरान जब मेरा खर्च बढ़ गया तब भी पापा ने कभी मुझे परेशानियों का अहसास नहीं होने दिया। इतना ही नहीं, मेरी पढ़ाई में कोई प्रॉब्लम ना हो इसके लिए वह खुद मेरे नोट्स बनाते थे। पापा ने मुझे कबी नहीं डांटा लेकिन उन्हें समय और पैसे का मिसयूज पसंद नहीं था। साइना का लंदन ओलिंपिक में मेडल जीतना उनके पापा हरवीर के लिए सबसे ज्यादा खुशी का पल था।
सूरज पहलवान - दिव्या सैन
रेसलर दिव्या सिंह का कहना है, मेरे पापा ने मुझे आसमान में पहुंचाने के लिए जो संघर्ष किया है, उसे मैं बयान नहीं सिर्फ महसूस कर सकती हूं। वह मुझे तपती गर्मी और कड़ाके की ठंड में भी कंधे पर दंगल करवाने के लिए लेकर घूमते थे। मेरे लिए दंगल आयोजित करवाने के लिए उन्होंने पहलवानों के लंगोट तक बेचे। जब मैं लड़कों से दंगल लड़ती थी तो लोग मुझपर हंसते थे लेकिन पापा मेरे साथ हमेशा खड़े रहे। अक्सर लोग पहले अपने बेटे को आगे बढ़ाते हैं और बेटी को पीछे रखते हैं लेकिन मेरे पापा ने इसका उलटा किया। उन्होंने मेरे भाई से ज्यादा मुझे तरजीह दी और मुझे आगे बढ़ाया। मुझे गर्व है कि मैं इंसान की बेटी हूं, जिन्होंने किसी बात की परवाह ना करते हुए मुझे कुश्ती में आगे बढ़ने की प्ररेणा दी।
रामपाल - रानी रामपाल
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल 2010 विश्व कप में भाग लेने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। वह अपनी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ अपने पिता का मानती हैं। इतना ही नहीं, वह अपने नाम के पीछे भी अपने पिता का नाम लगाती हैं। वह बताती हैं कि पहले तो उनकी मां, पिता वह भाई उनके हॉकी खेलने के खिलाफ थे लेकिन बाद में उनके मनाने पर पिता ने परमिशन दे दी लेकिन फिर मोहल्ले व रिश्तेदारों ने बाते करना शुरू कर दिया। सब कहने लगे कि घर से निकलकर लड़की ने कुछ बदनामी कर दी तो क्या होगा? मगर मेरे पापा ने पीछे ना लौटने की ठान ली थी। हालांकि उन्होंने मुझे समझाया कि रानी मैंने तुम्हें खेलने की परमिशन दी है क्योंकि मुझे तुम पर बहुत भरोसा है। इस विश्वास को कभी मत तोड़ना। मैंने भी उसी दिन तय कर लिया था कि इतना चमकना है कि सबकी बोलती बंद हो जाए और मैंने कर दिखाया। मेरे पापा घर खर्च चलाने के घोड़ागाड़ी चलाते थे लेकिन मुझे कामयाब बनाने के लिए उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की तंगी नहीं होने दी।
महावीर सिंह - गीता व बबीता फोगाट
दंगल गर्ल गीता फोगाट को भला कौन नहीं जानता। गीता कहती हैं कि अगर हमारे पिता गांव वालों व रिश्तेदारों के तानों के सामने डटकर खड़े ना हो तो आज हम भी कहीं रोटिया बना रही होती। एक दौर था जब पापा को पूरे गांव का विरोध झेलना पड़ा, लेकिन आज गांव के लोग बेटियों को हमारा उदाहरण देते हैं। हमारे गांव बलाली के एंट्री गेट पर लिखा है - इंटरनैशनल महिला पहलवान गीता, बबीता, रितु के गांव बलाली में आपका स्वागत है। यह पहचान हमें अपने पापा महावीर फोगाट की मेहनत से मिली है। जब लोग हमारे कुश्ती खेलने पर हमारा मजाक उड़ाते थे तब पापा ने हम बहनों से बस एक ही बात कही कि अगर तुम सफल हो गईं तो यही लोग तुम्हारा सम्मान करेंगे और यह बात पूरी तरह सच साबित हुई।
अनिल कपूर - सोनम कपूर
बॉलीवुड की फैशनिस्ता सोनम कपूर आज जिस मुकाम पर है उसका क्रेडिट वह अपने पिता अनिल कपूर को देती है। एंट इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, 'मैं 18 साल की उम्र में ही फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हो गई थी। हर भारतीय बच्चे की तरह मैं अपने माता-पिता के साथ रहती थी लेकिन मुझे हमेशा उस तरह की स्वतंत्रता दी जाती थी, जहां आपको अपने फैसले खुद करने होते हैं। पापा हमेशा मुझे अपनी लाइफ के फैसले खुद लेने के बारे में बताते हैं। अगर मेरा कोई भी डिसिजन गलत होता है तो वो मुझे सिखाते व समझाते हैं, वो कभी भी किसी पर ब्लेम नहीं लगाते हैं।' सोनम कहती हैं, 'मेरे पापा कहते हैं कि मैंने तुम्हें ऐसी परवरिश दी है कि तुम हमेशा सही फैसला लोगी।' मेरा मानना है कि इस तरह का सम्मान और स्वतंत्रता हर मां-पापा को अपने बच्चे को देनी चाहिए।