दुनिया के स्वस्थ देशों की लिस्ट आ चुकी है, जिसमें स्पेन पहले और इटली दूसरे स्थान पर है। इसमें 169 देशों की हेल्थ प्रॉब्लम्स का मूल्यांकन किया गया है। बात अगर भारत की करें तो इस लिस्ट में यह देश श्रीलंका और नेपाल से भी पीछे है। जी हां, इस सर्वे के मुताबिक, सबसे अधिक हेल्थ प्रॉब्लम्स भारत में ही पाई जाती है। बता दें कि भारत की रैंकिंग पिछले साल की तुलना में एक स्थान बढ़ गई है।
हेल्थ प्रॉब्लम्स के मामले में काफी आगे है भारत
2017 में भारत 119वें नंबर पर था और 2018 में भारत 120वें नंबर पर आ गया। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य के मामले में भारत की रैंकिंग श्रीलंका, बांग्लादेश और यहां तक की नेपाल से भी पीछे है। इस लिस्ट में श्रीलंका 66वें नंबर पर, बांग्लादेश 91वें नंबर पर और नेपाल 110वें नंबर पर है। इनमें आइसलैंड, जापान, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और नॉर्वे जैसे देश शामिल हैं, जो टॉप 10 की लिस्ट में हैं।
इस आधार पर बनी है लिस्ट
इसमें कई फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए देशों की रैंकिंग की गई, जिसमें इंफैक्शन और नॉन-इंफैक्शन रोगों से होने वाली मौतें व अनुमानित जीवन काल जैसी बातों को शामिल किया गया था।
भारत में प्रति व्यक्ति खर्च सिर्फ 240 डॉलर
स्पेन और इटली ऐसे देश हैं, जो देश के नागरिकों की सेहत पर प्रति व्यक्ति काफी खर्चा करते हैं। ये दोनों देश हेल्थकेयर पर प्रति व्यक्ति 3500 डॉलर खर्च करते हैं। वहीं भारत की बात करें तो यहां हेल्थकेयर पर किया जाने वाला प्रति व्यक्ति खर्च महज 240 डॉलर है। इसमें भी ज्यादातर पैसा लोग अपने सोर्स से खर्च करते हैं और उन्हें सरकार की तरफ से बेहद कम स्पोर्ट मिलता है।
पहले स्थान पर आने का क्या है मतलब?
इस लिस्ट में पहले स्थान पर आने वाले देश के कम लोग मोटापे से ग्रसित होते हैं। साथ ही वह ऐसा देश है जो मानसिक स्वास्थ्य, अनुमानित जीवनकाल और अन्य मानकों के अनुरूप रहने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। वहां के लोग पोषणयुक्त भोजन करते हैं और उन्हें दुनिया में सबसे बेहतरीन मेडिकल सुविधाएं भी प्राप्त हैं। ऐसे में भारत का टॉप 50 में भी ना पहुंच पाना एक चिंता का विषय हो सकता है।
भारत में बढ़ रहे हैं हार्ट डिसीज के मामले
पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत में हर राज्य में हृदय संबंधी बीमारियां और हार्ट अटैक के मामले 50% से अधिक बढ़े हैं। देश में हुईं कुल मौतों और बीमारियों के लिए इन रोगों का योगदान 1990 से लगभग दोगुना हो गया है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हृदय रोग के कारण मृत्यु और विकलांगता का अनुपात काफी अधिक है लेकिन पुरुषों और महिलाओं में लकवा (Paralysis) समान रूप से पाया गया।
भारत में टीबी के बढ़ते मामले
भारत में रोजाना लगभग 4 हजार लोग टीबी की चपेट में आते हैं, जिनमें से 1000 मरीजों की इस बीमारी की मौत हो जाती है यानी हमारे देश में हर 2 मिनटों में 3 लोग टीबी से मरते हैं। यह आंकड़ा सालाना 3 लाख के पार जाता है और मरने वालों में पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी होते हैं।
कैंसर
कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी, जिसकी चपेट में आकर हर साल हजारों लोग मौत की दहलीज पर खड़े होते हैं। भारत में लगभग 9.4 प्रतिशत लोग इस घातक ट्यूमर की चपेट में आते हैं, जिसमें ज्यादातर मामले ब्रेस्ट, जबड़े, लंग्स और ब्लड कैंसर के होते हैं।
डिप्रेशन
डिप्रेशन, तनाव, मानसिक समस्याएं भी भारत में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। भारत में कुल मौतों में से लगभग 3.0 प्रतिशत मौतों को कारण डिप्रेशन होता है। अक्सर लोग इन समस्याों को लोग किसी से शेयर भी नहीं करते, जिसके कारण इसके कारण व्यक्ति मौत के दरवाजे तक आ जाता है। इससे बचाव के लिए इसके बारे में खुलकर बात करना बहुत जरूरी है।
मलेरिया
मलेरिया एक संक्रामक रोग है, जो प्रोटोजोआ परजीवी द्वारा फैलता है। इससे एनीमिया के लक्षण जैसे चक्कर आना, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में तो मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। भारत में हर साल रोगों से होने वाली मौतों में लगभग 2.8 प्रतिशत लोग मलेरिया के शिकार बनते हैं। शोधों के अनुसार, देश की आबादी का लगभग 95 प्रतिशत लोग मलेरिया स्थानिक क्षेत्रों में रहते है।