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Lockdown Effects: बेहतर हुई ओजोन परत, बदली पूरी दुनिया की हवा लेकिन...

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 15 Apr, 2020 06:22 PM
Lockdown Effects: बेहतर हुई ओजोन परत, बदली पूरी दुनिया की हवा लेकिन...

नई दिल्ली: लॉकडाऊन हुआ तो कुदरत ने अपना अदभुत नजारा एक बार फिर इंसान को दिखाया। नीला आसमान, पंछियों की आवाज देख-सुन कर सब खुश हो रहे हैं क्योंकि यह प्रदूषण रहित दृश्य जो है। इसी के साथ प्रदूषण कम होने से ओजोन लेयर जो लगातार बुरी तरह प्रभावित हो रही थी उसमें भी सुधार आ रहा है। 

 

हाल ही में नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार, केमिकल ओजोन परत के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उनके उत्सर्जन में कमी होने के कारण यह सुधार हो रहा है। इसी के चलते दुनिया भर में सकारात्मक वायु संचार बना है,जिसका असर एंटार्टिका के ऊपर वाले वायुमंडल के हिस्से में भी हुआ है जहां ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा था।

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वहीं मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी के ऑर्गेनिक केमिस्ट लैन रे (Ian Rae) के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के पास कोरल रीफ क्षेत्र में वर्षा होना कम हो गई थी उसमें सुधार हो सकता है हालिया बदलाव से वर्षा इस क्षेत्र में पहले की तरह ज्यादा होने लगेगी जो पिछले कुछ दशकों से कम होने लगी थी।

हालाँकि वैज्ञानिक इस मामले को अभी किसी जल्दबाजी में नहीं दिखना चाहते क्योंकि जब औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी तब फिर से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइ ऑक्साइड और अन्य गैसों का उत्सर्जन शुरू हो जाएगा और फिर शायद पहले की स्थिति लौट न आए.

क्यों है यह आशंका?

कोलोराडो बाउल्डर यूनिवर्सिटी की अंतरा बैनर्जी का कहना है ‘हम इसे ‘विराम’ (Pause) कहना चाहेंगे क्योंकि पुरानी स्थिति वापस आ सकती है। यह ओजोन सुधार और ग्रीन हाउस गैसों के बीच एक तरह की रस्साकशी है।’

ओजोन परत में सुधार की क्यों है जरूरत?

पृथ्वी को वायुमंडल की पहली परत क्षोभमंडल (Troposphere) के ठीक ऊपर ओजोन की परत है जो अंतरिक्ष से आने वाले अल्ट्रावॉयलेट (पराबैगनी) (यूवी) किरणों को धरती की सतह तक आने नहीं देती हैं। यह परत भूमध्य रेखा के ऊपर 15 किलोमीटर तो ध्रुवों के ऊपर करीब 8 किलोमीटर मोटी है। पराबैगनी किरणों से हमारी आंखों और त्वचा को खास तौर पर नुकसान होता है। इन किरणों से लोगों में कैसर जैसी बीमारी तक हो  सकती है।

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यूवी किरणों के हानिकारक प्रभाव

.इससे स्किन कैंसर होता है।
.यूवी किरणों से त्वचा जल जाती है।
. यूवी किरण के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है।
.यूवी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है और इससे आंखों की सतह का ‘जलना' हो सकता है जिसे ‘स्नो ब्लाइंड' कहा जाता है।
.यूवी किरणें त्वचा की उम्र बढ़ने को भी तेज करती हैं।

ओजोन परत को कैसे बचाए?

वाहनों का कम प्रयोग करे
वाहनों से निकलने वाला धुआँ बहुत हानिकारक होता है। वाहनों के उपयोग को कम करना चाहिए। इन वाहनों का प्रयोग करने के स्थान पर ऐसे वाहन या तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे प्रदूषित धुआँ कम निकले।

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कीटनाशकों के प्रयोग से बचे

यह ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाते है। कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग करके इस नुकसान से बचा जा सकता है।

वृक्षों की कटाई ना करे

जितना ज्यादा हो सके वनों की कटाई को कम करना चाहिए और ज़्यादा से ज्यादा वृक्षों को लगाने का प्रयास करना चाहिए। वृक्षों को बढ़ने में सहयोग करे।

इन चीजों का करें इस्तेमाल

स्टायरोफोम के बर्तनों की जगह मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें। वहीं, पारंपरिक रुई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें, ताकि ओजोन परत सुरक्षित रहे।

कोरोना के कारण लॉक डाउन होने के फ़ायदे

.उद्योगों के बंद होने से वायुमंडल को नुक़सान पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन बंद हो गया हैं।

.सार्वजनिक और निजी यातायात लगभग बंद होने से वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैसें निकलना भी बहुत ही कम हो गई हैं।

.वाहनों के शोर नहीं तो ध्वनि प्रदूषण में प्रभावी कमी कर दी है।

फिलहाल अभी तो पूरी दुनिया का ध्यान फैले कोरोना वायरस के बचाव पर है। दुनिया भर के शोधकर्ता इस संकट से निपटने के लिए लगतार दवा की खोज व वैक्सीन बनाने में जूटे हैं।

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