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Nirbhaya Case: आखिर मिल गया देश की बेटी को इंसाफ, एक साथ फांसी पर लटके चारों दोषी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 20 Mar, 2020 10:31 AM
Nirbhaya Case: आखिर मिल गया देश की बेटी को इंसाफ, एक साथ फांसी पर लटके चारों दोषी

निर्भया को आखिरकार इंसाफ मिल गया। 7 साल का वक्‍त कम नहीं होता। दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसकी मां ने एक जटिल कानूनी लड़ाई लड़ी है। मगर, आखिरकर आज निर्भया को इंसाफ मिल गया, जिसकी उम्मीद सिर्फ निर्भया के माता पिता ही नहीं बल्कि पूरा देश लगाए बैठा था।

7 साल, 3 महीने और 3 दिन बाद हुआ इंसाफ

निर्भया गैंगरेप व मर्डर के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को आज सुबह 5:20 मिनट पर फांसी दे दी गई है। फांसी के बाद चारों दोषियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए दीन दलाय उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया।

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कोर्ट की तरफ से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद फांसी के लिए कई तारीखें तय हुईं। उनके वकील ने भी दोषियों को बचाने की कई कोशिश की लेकिन भगवान के घर में देर अंधेर नहीं। गुरुवार देर रात दिल्ली हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में भी मामले को लेकर सुनवाई चली लेकिन उनके सारे पैंतरे फेल हो गए। बता दें कि यह पहला मौका है जब तिहाड़ में चार अपराधियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया है।

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दोषियों को फांसी मिलने के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा, 'लड़ाई लंबी रही है लेकिन मैं संतुष्ट हूं। पर चैन से सो नहीं पाऊंगा। समाज से नहीं सिस्टम से शिकायत है। बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है। लोगों से यही कहूंगा कि बेटे व बेटी के बीच भेद न करें। मेरी बेटी जिंदा नहीं है पर मैने उसे बेटा ही माना। अब भी मुझे मेरी बेटी की सिंगापुर की तस्वीर याद है। बस कल्पना ही कर सकता हूं कि फासी पर वो कैसे लटके होंगे। मैं सबका धन्यवाद करता हूं।'

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वहीं, बेटी को 7 साल बाद मिले इंसाफ के बाद निर्भया की मां के आंखे नम हो गई। उन्होंने कहा, 'आज का दिन हमारे बच्चियों के नाम, हमारे महिलाओं के लिए.. देर से ही लेकिन न्याय मिला.. हमारे न्यायिक व्यवस्था, अदालतों को धन्यवाद। जिस केस में जिस तरह से एक-एक पिटिशन डाली गई। हमारे कानून की कमियां सामने आई और आज उसी संविधान पर सवाल उठ गया था लेकिन एक बार फिर हमारा विश्वास हमारे देश के बच्चियों को इंसाफ मिला। हमारे बच्ची इस दुनिया में नहीं आने वाली, निर्भया को इंसाफ मिला लेकिन आगे भी इस लड़ाई को जारी रखेंगे. आगे भी लड़ते रहेंगे कि ताकि आगे कोई निर्भया केस न हो।''

बता दें कि निर्भया के गुनहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में गोरखपुर के अधिवक्ता भानू प्रकाश पांडेय के बेटे व पीड़िता के दोस्त अवनींद्र की भूमिका बहुत अहम रही। वह इस घटना के इकलौते चश्मदीद गवाह थे।

16 दिसंबर की वो खौफनाक रात...

16 दिसंबर, 2012 को उसके साथ जिन दरिंदों ने बलात्‍कार किया वो उसे मरने के लिए छोड़ गए। निर्भया तो बहादुर थी जो आखिरी सांस तक लड़ी लेकिन होनी को शायद यह मंजूर नहीं था कि वह अपनी आंखों से दरिंदों को फांसी चढ़ता देखे। उसने वारदात के 15 दिन बाद दम तोड़ दिया था।

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23 साल की फिजियोथिरेपिस्‍ट निर्भया अपने एक दोस्‍त के साथ साउथ दिल्‍ली के एक थियेटर से 'Life Of Pi' फिल्‍म देखकर लौट रही थी। तभी दोनों एक ऑफ-ड्यूटी चार्टर बस में चढ़े, जिसमें ड्राइवर समेत कुल 6 लोग थे। तभी बस गलत दिशा में चलने लगी और जब निर्भया के दोस्‍त ने विरोध किया तो लड़ाई हो गई। शराब के नशे में धुत वो लोग निर्भया के साथ बदतमीजी करने लगे। निर्भया के दोस्‍त पर लोहे की रॉड से वार कर उसे बेहोश कर दिया गया। जिसके बाद सभी दरिंदो ने बारी-बारी उसका रेप किया। उनमें से एक अपराधी जो नाबालिग था, उसने जंग लगा लोहे का एक सरिया निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दिया, जिससे उनकी आंतें फट गई थीं।

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मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, निर्भया के शरीर के निचले भाग में सेप्टिक था। यही नहीं, निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार करने के बाद अपराधियों ने उसे व उसके दोस्‍त को चलती बस से मरने के लिए फेंक दिया। यहां तक कि निर्भया के ऊपर से बस चढ़ाने की भी कोशिश हुई मगर उसके घायल दोस्‍त ने उसे किनारे खींच लिया। वहां से गुजरने वाले एक शख्‍स को दोनों अधमरी हालत में मिले। दिल्‍ली पुलिस को खबर की गई। 

 

ये घटना इतनी वीभत्‍स थी कि देशभर का गुस्‍सा फूट पड़ा। दिल्‍ली की सड़कों पर हजारों की भीड़ उतर आई। निर्भया की हालत बिगड़ती चली गई। उसे सिंगापुर के एक अस्‍पताल में शिफ्ट किया गया जहां वह 29 दिसंबर की रात जिंदगी की जंग हार गई। उसके दोस्‍त की पसलियां टूटी थीं मगर जान बच गई। मगर, सभी आरोपियों को जल्‍द पकड़ लिया गया।

 

भले ही देश की बेटी को इंसाफ मिल गया हो लेकिन महिलाओं के साथ रेप, दहेज प्रथा, एसिड अटैक, सड़कों पर छेड़खानी, घरेलू हिंसा जैसी घटनाओं की खबर दिल दहला जाती है। अब ये मामला सिर्फ पोस्टर, बैनर, पैम्पलेट और मोमबत्तियों तक सीमित नहीं है। निर्भया की तरह हर उस बेटी को इंसाफ मिलना चाहिए, जो ऐसी हिंसा का शिकार होती है।

आज देश की बेटी को इंसाफ मिल गया और साथ ही यह उन दोषियों के लिए सबक भी है जो लड़कियों को सिर्फ गलत नजर से देखते हैं।

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