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गुड़ी पड़वा 2019: क्यों मनाया जाता हैं यह पर्व? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 05 Apr, 2019 03:44 PM
गुड़ी पड़वा 2019: क्यों मनाया जाता हैं यह पर्व? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

गुड़ी पड़वा का त्योहार कल यानि 6 अप्रैल 2019 को महाराष्ट्र में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा। गुड़ी पड़वा के दिन लोग पूजा-पाठ करके एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। आपको बता दें कि गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का स्पैशल फेस्टिवल हैं जिसे अब देश के कोनों में मनाया जाने लगा हैं। चलिए जानते हैं गुड़ी पड़वा का सही मुहूर्त और इस दिन को मनाने का कारण। 

 

क्यों मनाई जाती है गुड़ी पड़वा?

महाराष्ट्र और कोंकण में हैपी न्यू ईयर यानी नए साल को गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है, जोकि इस साल 6 अप्रैल को मनाया जाएगा। गुड़ी का मतलब होता है विजय पताका। मान्यता है कि इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। गुड़ी का अर्थ होता है ध्‍वज और पड़वा का अर्थ होता है प्रतिपदा। गुड़ी पड़वा को संवतसारा या संवत भी कहा जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का पहला दिन शुरु हो जाता हैं। इसके अलावा इस दिन को मनाने का धार्मिक, स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्तव हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था इस‍ीलिए गुड़ी पड़वा ‘नवसंवत्‍सर’ भी कहलाता है। इसके अलावा महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी तिथि पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग’ भी रचा था। स्वास्थ्य के लिहाज से देखा जाए तो  इस दिन बनाए जाने वाले सभी भोजन पच्चड़ी,पूरन पोली जैसे जायके स्वास्थ्वर्धक होते हैं।

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क्या हैं गुड़ी पड़वा की कथा?

प्रचलित कथा के अनुसार शालिवाहन नाम के एक कुम्हार के बेटे ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए थे। कुम्हार के बेटे ने अपनी इस सेना की मदद से दुश्मनों को हरा दिया था। इस जीत के प्रतीक के रूप में ही शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ। इसके अलावा इसी दिन भगवान राम ने वानरराज बाली से दक्षिण की प्रजा को बाली के त्रास से मुक्ति दिलाई थी। इसके बाद प्रजा ने घरों में ध्वज (गुड़िया) फहराए थे। यही वजह है कि महाराष्ट्र में आज के दिन घर के आंगन में गुड़ी खड़ी की जाती है। 

 

गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त

गुड़ी पड़वा की पूजा से पहले आप इसका शुभ मुहूर्त भी मालूम होना चाहिए। आपको बता दें इस बार प्रतिपदा तिथि प्रारंभ 5 अप्रैल 2019 को 11:50 बजे से शुरू होकर 6 अप्रैल को 12:53 बजे तक समाप्त होगा। 

 

किस तरह की जाती है तैयारियां?

इस दिन लोग घरों की अच्छे से सफाई करके रंगोली, तोरण द्वार बनाकर घर को सजाते हैं। फिर घर के मुख्य द्वार के आगे एक गुड़ी यानि झंडा रखा जाता हैं। फिर घर में किसी बर्तन पर स्वास्तिक चिंह बनाकर उसको रेशम के कपड़े में लपेट कर रखा जाता है। फिर प्रात:काल के समय सूर्यदेव की आराधना के साथ ही सुंदरकांड, रामरक्षा स्रोत और देवी भगवती के मंत्रों का जाप करके पूजा शुरू की जाती हैं। 

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गुड़ी पड़वा मनाने की विधि 

पहले सुबह सर्वप्रथम उठकर स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है। फिर गांव के लोग गोबर से घर लीपते है जबकि शहरों में सफाई की जाती हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान करना लाभदायी होता है। सूर्योदय के पश्चात गुड़ी की पूजा अर्चना की जाती है और सुर्ख रंगों से रंगोली बनाई जाती है। ताजे फूलों से घर को सजाकर वातावरण को खुशनुमा बनाया जाता है। इस दिन मराठी महिलाएं नौवारी साड़ी (9 गज लंबी साड़ी) तो पुरुष केसरिया या लाल रंग की पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं। गुड़ी पड़वा पर श्रीखंड और खीर जैसे स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं। वहीं शाम के समय लोग समूह में लेजिम नामक ट्रैडीशनल डांस करते हैं। 

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