हादसे ना सिर्फ जिंदगी को बदलकर रख देते हैं बल्कि इससे आत्मविश्वास भी चकनाचूर हो जाता है। मगर, कुछ लोग ऐसे होते हैं ,जो मुश्किल समय में भी मजबूत बनकर उभरते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में बताएंगे, जिनकी जिंदगी एक हादसे के कारण पलभर में बदल गई। हम बात कर रहे हैं मालविका अय्यर की, जिन्होंने बम ब्लास्ट में दोनों हाथ खो दिए लेकिन अपनी हिम्मत और हौंसले से आज वह दुनियाभर के लिए प्रेरणा बन गई।
एक जोरदार धमाका और बदल गई जिंदगी
28 वर्षीय मालविका ने 13 साल की उम्र में एक हादसे द्वारा अपने दोनों हाथ खो दिए थे। मालविका के खेलते समय पास की गोला बारूद फैक्ट्री से एक ग्रेनेड आकर गिरा और उसे उठाते समय ही वह फट गया, जिससे मालविका बुरी तरह जख्मी हो गई। डॉक्टरों ने मालविका की जान तो बचा ली लेकिन उन्हें अपने दोनों हाथों को गवाना पड़ा। उनके पैरों पर भी गंभीर चोटें आई, जिसे ठीक करने के लिए उसमें लोहे की रॉड डाली गई। 18 महीने तक अस्पताल में रहने और सर्जरी के बाद उन्होंने खुद चलना शुरू कर दिया और उन्होंने प्रोस्थेटिक हाथों के सहारे काम करना भी शुरू कर दिया।
हाथ खोने के बाद ली अर्थशास्त्र में डिग्री
इसके बाद मालविका ने क्रैश कोर्स में एडमिशन ली और एक राइटर की मदद से वह बोर्ड एग्जाम में बैठीं। अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने अच्छे नंबरों से बोर्ड एग्जाम क्वालीफाई किया। इसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन कम्पलीट की। मालविका बताती है कि वह, 'मैं हमेशा ऐसे लोगों से घिरी रहती थी जिनकी जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा होता थी और उन्हें मेरी तरह छोटी-छोटी चीजों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता था।'
मुश्किल आई लेकिन नहीं झुकी मालविका
आज मालविका एक इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर हैं और वह निराश हो चुके लोगों को जीने की राह दिखाती है। इसके अलावा मालविका एक्टिविस्ट, सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल भी हैं। अपने काम की वजह से ही उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं। मालविका ने बताया कि, 'मेरा परिवार हर मौके पर मेरे साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहा। उन्होंने मुझपर यकीन किया और हमेशा मेरी जीत को सेलिब्रेट किया।'
अपनी जिंदगी से दूसरों को कर रही प्रेरित
2012 में उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी को सांझा किया, जिसके बाद उन्हें TEDx talk में बोलने के लिए बुलाया गया। इसके बाद वह यूनाइटेड नेशन के हेडक्वार्टर में भी अपनी कहानी को सांझा करने के लिए गई। आज वह पूरी दुनिया में 300 से भी अधिक स्पीच दे चुकी हैं। मालविका जिंदगी को काफी सकारात्मक रूप से देखती है और दूसरों को भी प्रेरित करती रहती हैं।
नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित
वह दिव्यागों के लिए सोशल वर्क भी करती हैं। इसके अलावा कर विकलांगों के लिए नए कानून और नियमों की मांग के लिए विदेशों तक गई। आज उनके साहस की कहानी हर किसी की जुबान पर हैं। मालविका के हौंसले और सोशल वर्क के लिए उन्हें 'नारी शक्ति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
वाकई, मालविका उन लोगों के लिए मिसाल है जो जिंदगी में दुख आने पर हौंसला या हिम्मत छोड़ देते हैं। अपनी जिंदगी संवारने के बाद आज मालविका कई लोगों की मदद में जुटी हुआ है।