महिलाएं जब ठान लेती हैं तो वह ना-मुमकिन को भी मुमकिन कर देती हैं। फिर चाहे वह घर की जिम्मेदारी उठाना हो या बाहर जाकर काम करना। आज के समय में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है जिसमें महिलाओं ने अपनी पहचान ना बनाई हो बल्कि यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इस जमाने में महिलाएं पुरुषों को भी बराबर की टक्कर दे रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लंदन की रॉयल सोसायटी में शामिल होकर देश का नाम रोशन किया है।
रॉयल सोसायटी में शामिल हुई गगनदीप
ट्रांसलेशनल प्रौद्योगिकी एवं संस्थान की कार्यकारी निदेशक व प्रो.गगनदीप कांग ने विश्व की सबसे पुरानी वैज्ञानिक सोसायटी का सदस्य बनने का गौरव हासिल कर लिया है। बता दें कि 358 साल में पहली बार कोई भारतीय महिला इस सोसायटी की दस्य बनी है। इतना ही नहीं, गगनदीप ऐसी पहली भारतीय महिला हैं जो देश में काम करते हुए इस सोसायटी की सदस्य बनी हैं।
सोसायटी ने की काम की सराहना
गगनदीप को भारत में वैक्सीन विकसित करने और नैदानिक अनुवादकीय दवा के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की सदस्यता दी गई है। सोसायटी के अन्य मेंबर्स ने गगनदीप के काम की सराहना भी की। दरअसल, गगनदीप ने बच्चों में होने वाले आंत इंफैक्शन और दूसरी बीमारियों के खतरे से बचाव पर एक शोध किया था, जोकि सोसायटी के मेंबर्स को खूब पसंद आया। उन्होंने इनका प्रोफाइल 2019 में चुने गए सदस्यों में शामिल किया है, जिसमें उनकी उपलब्धियां बताई गई हैं।
बीमारियों से बचाव के लिए खोल चुकी हैं कई लैब
बता दें कि वह राष्ट्रीय स्तर रोटा वायरस, टाइफाइड जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाने में मदद की है। इतना ही नहीं उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए वह कई लैब भी खोल चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद करने के लिए भी कई वैक्सीन तैयार की थी, जोकि सफल भी रही।
WHO की रह चुकीं है अध्यक्ष
गगनदीप वेल्लोर क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं और फिलहाल इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाले प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। गगनदीप THSTI फरीदाबाद में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। 2016 में उन्हें पब्लिक हेल्थ के लिए काम करने के कारण ITI कंपनी इंफोसिस द्वारा भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वह WHO के साउथ-ईस्ट एशिया की प्रतिरक्षा तकनीकी विभाग की अध्यक्ष भी रह चुकी है.
क्या है रॉयल सोसायटी?
'रॉयल सोसायटी' ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल देशों की एक स्वतंत्र वैज्ञानिक अकादमी है, जो विज्ञान को बढ़ावा देती है। इसकी स्थापना साल 1660 में हुई थी, जो अब तक काम कर रही सबसे पुरानी संस्था है। रॉयल सोसायटी की फैलोशिप एक ऐसा पुरस्कार है, जो गणित, इंजीनियरिंग, डॉक्टरी विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के सुधार में अहम योगदान के लिए दिया जाता है। इस संस्था में दुनिया के प्रख्यात वैज्ञानिक के नाम शुमार हैं। वहीं गगनदीप ने सोसायटी में जगह बनाकर 400 साल के इतिहास को बदलकर देश का नाम रोशन किया है।