16 APRTUESDAY2024 2:36:50 PM
Life Style

'बच्चे के साथ ओरल संबंध बनाना गंभीर अपराध नहीं', इलाहाबाद HC ने घटाई आरोपी की सजा

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 24 Nov, 2021 01:02 PM
'बच्चे के साथ ओरल संबंध बनाना गंभीर अपराध नहीं', इलाहाबाद HC ने घटाई आरोपी की सजा

बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे हर कोई हैरान है। दरअसल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2016 में 10 साल के बच्चे को उसके साथ ओरल संबंध बनाने के लिए लिए मजबूर करने वाले दोषी की सजा कम कर दी है। झांसी के एक व्यक्ति के खिलाफ फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह का कार्य संरक्षण की धारा-4 के तहत 'अति गंभीर अपराध' नहीं है।

इलाहाबाद HC ने घटाई आरोपी की सजा

झांसी की एक आरोपी सोनू कुशवाहा पर बच्चे के साथ 'ओरल सेक्स' करने का आरोप था। इसपर फैसला देते हुए निचली अदालत ने अपराधी को 10 साल की सजा सुनाई थी लेकिन न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने तदनुसार निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को 10 साल के कठोर कारावास से घटाकर 7 साल कर दिया। इसके साथ ही आरोपी पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा है।

PunjabKesari

'बच्चे के साथ ओरल सेक्स गंभीर अपराध नहीं'

हालांकि, कोर्ट ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) एक्ट अधिनियम धारा 4 के तहत इसे अपराध माना। कोर्ट के मुताबिक, यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन शोषण नहीं है इसलिए इस मामले में पोक्सो एक्ट 6-10 के तहत सजा नहीं दी जा सकती है। आरोपी को धारा 4 के तहत दंडित किया जाना चाहिए।

PunjabKesari

क्या था पूरा मामला?

गौरतलब है कि लड़के के पिता के अनुसार, दोषी सोनू कुशवाहा मार्च 2016 में शिकायतकर्ता के घर गया और अपने बेटे को यह कहकर बाहर ले गया कि वे एक मंदिर जा रहे हैं। वहां पर उस शख्स ने बच्चे को ओरल सेक्स के लिए ₹20 दिए। जब बच्चा पैसे लेकर लौटा तो उसके परिवार ने उससे रुपए के बारे में पूछा। बच्चे ने उन्हें दुर्व्यवहार के बारे में बताया। घटना के 4 दिन बाद दर्ज प्राथमिकी के आधार पर, भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (प्रकृति के आदेश के खिलाफ शारीरिक संभोग) और 506 (आपराधिक धमकी) और पोक्सो अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

लोगों ने क्या कहा?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद लोग काफी भड़क गए हैं, और सोशल मीडिया के जरिए अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। अदालत पर तंज कसते हुए एक यूजर ने लिखा, 'भारत में रेप नहीं होते' वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "ऐसा फैसला सुनाने पर जजों को शर्म करनी चाहिए।"

PunjabKesari

वहीं जोया नाम की एक यूजर ने लिखा, "ये भयावह है। चूंकि ये ‘बलात्कार’ नहीं था इसलिए कम गंभीर हो गया? ऐसे उत्पीड़ित से बच्चों को बहुत ज्यादा मानसिक आघात पहुंचता है। क्या कोर्ट को इस बारे में नहीं सोचना चाहिए था?"

 

Related News