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Success Story: पिता की मेहनत रंग लाई, बेटी बनी IAS ऑफिसर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Apr, 2019 05:08 PM
Success Story: पिता की मेहनत रंग लाई, बेटी बनी IAS ऑफिसर

महिलाएं जब कुछ करने की सोचती हैं तो उसे करके ही दिखाती हैं और ऐसा ही कुछ कर दिखाया श्वेता अग्रवाल ने। IAS की परीक्षा देश की सबसे कठिन मानी जाती है लेकिन इस परीक्षा को पास कर श्वेता ने ना सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। मगर उनके संघर्ष की कहानी, शिक्षा सुविधाओं को हासिल करने से लेकर यूपीएससी में फीमेल टॉपर बनने तक की कई बाधाओं से भरी हुई है। चलिए आपको बताते हैं आखिर कैसे इस मुकाम तक पहुंची श्वेता।

 

IAS में हासिल किया 19वां रैंक

पश्चिम बंगाल की रहने वाली श्वेता ने 2015 में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में 19वां रैंक हासिल करके IAS अधिकारी बनने के अपने सपने को सच कर दिखाया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलकाता से ही पूरी की है। इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में एडमिशन लिया और वहां कॉलेज के टॉप स्टूडेंट्स में उनका नाम भी आया।

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बचपन में करना पड़ा भेदभाव का सामना

श्वेता एक मध्य वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है और उनके परिवार में कुल 28 लोग हैं। श्वेता के पैदा होते ही उन्हें भेदभाव झेलना पड़ा क्योंकि उनके दादा-दादी को बेटे की आस थी। हालांकि उनके माता-पिता ने कभी इस बात को लेकर कोई भेदभाव नहीं किया।

किराने की दुकान में काम करते है श्वेता के पिता

ज्वाइंट फैमिली में होने के बावजूद उनके पिता व्यावहारिक रूप से बेरोजगार थे। दैनिक मजदूर से लेकर किराने की दुकान चलाने तक उन्होंने श्वेता की शिक्षा के लिए काफी मेहनत की क्योंकि उनके पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। वह बताती हैं कि उनके घर में पैसों की इतनी किल्लत थी कि वह मेहमानों का भेंट किए पैसे भी फीस के लिए पेरेंट्स को दे देती थी।

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सुनने पड़े लोगों के तानें

श्वेता बताती हैं, 'जब मैंने कॉलेज में एडमिशन ली तो लोगों ने तंज कसने शुरू कर दिए लेकिन मैं हारी नहीं और अपनी पढ़ाई पूरी कर सभी को चौंका दिया।मेरे परिवार में किसी ने इसके पहले ग्रैजुएशन नहीं किया था। मैं पहली ऐसी इंसान थी जो आगे की पढ़ाई करने के लिए प्रतिबद्ध थी।'

IAS बनने के लिए जॉब से किया रिजाइन

घर के हालात को देखते हुए श्वेता एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लग गई लेकिन उनके मन में अफसर बनने का सपना था। फिर क्या था अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। मगर इसके बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई क्योंकि परिवार वालों ने इनपर शादी के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया लेकिन वह अपने करियर को लेकर एकदम क्लियर थी।

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असफलता के बाद भी नहीं मानी हार

श्वेता ने 2013 में यूपीएससी का एग्जाम दिया और अंतिम लिस्ट में जगह भी बनाई लेकिन 497वीं रैंक होने की वजह से उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिली। जबकि वे आईएएस बनना चाहती थीं। असफलता के बाद भी श्वेता ने हार नहीं मानी और तैयारी में लगी रहीं लेकिन दूसरी बार भी वह 141वीं रैंक हासिल की और उन्हें आईएएस सर्विस नहीं मिली। मगर श्वेता ने 2016 में एक बार और एग्जाम दिया और इस बार 19वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा कर दिखाया।

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