6 जून को दोपहर 4 बजे बोरवेल में गिरे 2 साल के बच्चे को मंगलवार की सुबह निकाल लिया गया था। करीब 110 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बच्चे को बोरवेल से निकाल लिया गया लेकिन तब तक बहुंत देर हो चुकी थी। इससे पहले ही बच्चे ने अपना दम तोड़ दिया था। फतेहवीर सिंह की मौत पर जहां उनका परिवार गहरे सदमें में हैं वहीं जनता भी सरकार की लापरवाही के प्रति अपना रोष दिखा रही है।
मौत से एक दिन पहले था फतेहवीर का जन्मदिन
फतेहवीर, सुखविंदर सिंह उर्फ लवीश और गगनदीप कौर की इकलौती संतान है। पांच साल की मन्नतों के बाद जन्मा फतेहवीर 10 जून को 2 साल का हो जाता लेकिन इससे पहले 6 जून गुरुवार की शाम करीब पौने 4 बजे फतेहवीर खेलते-खेलते पास ही स्थित 9 इंच चौड़े और 150 फीट गहरे बोरवेल में जा गिरा। मां गगनदीप कौर के मुताबिक, उसके पिता पास ही गाड़ी धो रहे थे और उनकी नजर बच्चे पर पड़ भी गई थी लेकिन जब तक वो बच्चे को पकड़ते तब तक काफी देर हो गई थी। पाइप पर ढके प्लास्टिक के जिस कट्टे पर बच्चे का पैर पड़ा था, उसका महज एक छोटा सा टुकड़ा ही पिता के हाथ में आया।
सरकार और स्थानीय प्रशासन पर ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी लापरवाही के चलते बच्चे की जान चली गई लेकिन ऐसे नहीं बल्कि 7 कारण है, जिसके चलते नन्हे फतेहवीर को अपनी जान गवांनी पड़ी।
हाइपोक्सिया रही मौत की वजह
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मौत की वजह हाइपोक्सिया यानी दम घुटना है। जब शरीर तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती तो वो हाइपोक्सिया शिकार हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति का ब्रेन, लीवर और कई ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं। फतेहवीर जहां गिरा था वहां उसे ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी, जिसके कारण तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गई।
ऐसे 5 कारण, जिसके वजह से फतेहवीर को गवांनी पड़ी जान
-जांच में खुलासा किया है कि जहां फतेहवीर के साथ रेत की बोरी भी उनके साथ गिर गई थी। मुहं में रेत भर जाने के कारण फतेहवीर सांस नहीं ले पा रहा था। पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिलने के कारण 3-4 दिन पहले ही उसकी मौत हो गई थी।
-पोस्टमार्टम में बताया गया है कि जब बच्चे को पीजीआई में लाया गया तो न उसकी पल्स, दिल की धड़कन और सांस नहीं चल रही थी। डाक्टरों के मुताबिक मौत की एक वजह नहीं है बल्कि कई सारे फैक्टर ऐसे रहे, जिस वजहों से उसने दम तोड़ा है।
-अगर समय रहते सही कदम उठाए जाते हैं आज फतेहवीर जिंदा होता। जिस दिन वह गिरा, उस दिन NDRF की टीम ने बच्चे की हाथों में रस्सी डालकर खींचने की कोशिश की लेकिन असफल रही। इसके बाद उन्होंने पैरलल सुरंग बनाने की कोशिश की, जोकि गलत दिशा में बन गई।
-डाक्टरों के मुताबिक, तापमान अधिक होने और खान-पान का सामान ना मिलने से बच्चे को डिहाइड्रेशन भी हुआ।
-बच्चों को बचाने के लिए प्रशासन ने बेहद धीमी गति से काम किया। इतना ही नहीं, प्रशासन ने आधुनिक मशीनें भी नहीं मंगवाई। पूरे ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही भी फतेहवीर की मौत का कारण बन गई थी। जब प्रशासन अपनी कोशिशें कर थक गई तो 11 जून को सुबह मौके पर मौजूद गुरिंदर सिंह ने फतेहवीर का शव बाहर निकाला।