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एकता कपूर बनी Surrogacy के जरिए मां, जानिए इसके फायदे और नुकसान

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 01 Feb, 2019 07:25 PM
एकता कपूर बनी Surrogacy के जरिए मां, जानिए इसके फायदे और नुकसान

टीवी की क्वीन एकता कपूर एक बेटे की मां बन चुकी हैं। उनके बेटे का जन्म 27 जनवरी को सरोगेसी के जरिए हुआ। हालांकि एकता कपूर के भाई तुषार कपूर ने भी सरोगेसी का सहारा लेकर ही बेटे लक्ष्य के पिता बने हैं। एकता ने अपने बेटे को नाम रविर कपूर रखा जिसका कनेक्शन अपने नाना जितेंद्र कपूर से है। नाना जितेंद्र और मामा तुषार कपूर ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी भी जाहिर कीं। 

 

गौरतलब हैं कि इनके अलावा अन्य कई बॉलीवुड सितारें है जो सरोगेसी की मदद से पेरेंट्स बने। सरोगेसी आज के समय में बेहद सामान्य होती जा रही हैं जो उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो किसी कारणवंश पेरेंट्स नहीं बन पाते लेकिन घर में बच्चों की किलाकरियां सुनने के लिए ढेरों यत्न करते हैं। मगर आज के समय में भी ऐसे कई लोग हैं जिन्हें सरोगेसी का अर्थ तक नहीं पता। 

 

क्या हैं सरोगेसी? 

सरोगेसी, एक अन्य महिला और एक दंपति के बीच किया गया एग्रीमेंट होता है जो अपना खुद का बच्चा चाहते है। जो कपल्स किसी कारण से माता-पिता नहीं बन पाते हैं, सरोगेट महिला उनके बच्चे को नौ महीने तक अपनी कोख में पालती है और उसके जन्म के बाद उन्हें सौंप देती है। इस प्रक्रिया के जरिए नि-संतान दंपति भी अपने खुद के बच्चे का सुख भोग लेते है। 

 

कौन होती है सरोगेट मदर? 

सरोगेट मदर, वह होती है जो नौ महीने तक किसी दंपति की संतान को अपनी कोख में पालती है। आमतौर पर सरोगेट मदर ऐसी औरतें बनती हैं जिनके खुद के बच्चे होते है क्योंकि इससे पता चल जाता है कि वो मां बनने में समर्थ हैं और उसकी कोख में बच्चे का संपूर्ण विकास हो सकता हैं। इसके अलावा यह बात भी नोटिस की जाती हैं कि सरोगेट महिला मानसिक रूप से तैयार है या नहीं, उसे परिवार का समर्थन मिल रहा है या नहीं। 

 

क्या सच में वरदान साबित होती है सरोगेसी?   

आमतौर पर सरोगेसी उन दंपति के लिए वरदान साबित होती हैं जो किसी कारण बच्चा पैदा करने में असमर्थ हो , किसी महिला का बार-बार गर्भपात हो रहा या फिर बार-बार IVF ट्रीटमेंट फ़ैल हो रहा हो। इसके अलावा कुछ लोग जो बिना शादी किए सिंगल मदर या डैड बनने के लिए सरोगेसी का सहारा लेते है। 

 

किराए की कोख के नुकसान 

भले ही अपना खुद का बच्चा चाहने वालों के लिए यह वरदान है लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। दरअसल,  साइंस कहना है क‌ि 6 महीने तक शिशु को मां का दूध और निकटता की जरूरत होती है लेकिन सरोगेट मदर से जन्मे बच्चे को मां का दूध व निकटता कभी नसीब नहीं हो पाती। पैदा होते ही बच्चे को उसके हकदार ले जाते हैं लेकिन सरोगेट मदर के लिए यह भावनात्मक रूप मुश्किल समय होता है। 

 

सरोगेसी ट्रीटमेंट का हो रहा है दुरुपयोग 

वहीं, आजकल सरोगेसी का सहारा लोग एक फैशन की तरह लेने लगे हैं। कई महिलाएं लेबर पेन से बचने व कामकाज के ज्यादा व्यस्त होने के कारण इसका सहारा ले रही हैं। जिसके चलते सरोगेसी का दुरुपयोग हो रहा हैं। दरअसल, सरोगेसी ट्रीटमेंट अन्य देशों की तुलना में काफी आसान व सस्ता माना जा रहा हैं।  वहीं कुछ हॉस्पिटल कपल से अच्छी कीमत वसूल कर गरीब व जरूरतमंद महिला से सस्ते में गर्भधारण करा लेते है। इस स्थिति को देखते हुए सरोगेसी बिल बनाया जाने लगा है। 
 

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