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मिसाल: कूड़ा बीनने वाले बच्चों के साथ कांस्टेबल रंजीता ने बनाया 'चक दे फुटबॉल क्लब’-Nari

  • Edited By Nisha thakur,
  • Updated: 16 Sep, 2018 03:04 PM
मिसाल: कूड़ा बीनने वाले बच्चों के साथ कांस्टेबल रंजीता ने बनाया 'चक दे फुटबॉल क्लब’-Nari

दौलत, शोहरत और नाम मां-बाप का दिया हुआ मिल जाता है लेकिन इस दुनिया में पहचान अपने दम पर बनानी पड़ती है। अक्सर हम किसी के ओहदे से उसकी पहचान करते हैं। मगर 32 साल की कांस्टेबल रंजीता ने ओहदे से कई ज्यादा ऊंची अपनी पहचान बना ली है। रंजीता ने सड़क पर कूड़ा-कचरा बीनने वाले बच्चों के साथ मिलकर  'चक दे फुटबॉल क्लब’ बनाया है उनके इस काम की हर कोई सराहना कर रहा है। 

 

 

बिहार के भोजपुर जिले की रहने वाली हैं रंजीता

रंजीता बिहार के भोजपुर जिले की रहने वाली हैं। जब उनकी पोस्टिंग नक्सल प्रभावित क्षेत्र मुंगेर जिले में हुई तब तक उन्हें कोई नहीं जानता था। उस समय बस वह एक कांस्टेबल थी जिससे चोर डरते थे। 

 

 

रह चुकी हैं भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सदस्य

रंजीता भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सदस्य रह चुकी हैं। अब वह बच्चों को पिछले 10 सालों से फुटबॉल खेलना सिखा रही हैं। उनके कई स्टूडेंट्स राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बना चुके हैं। 

 

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इस तरह हुई  'चक दे फुटबॉल क्लब' की शुरूआत 

रंजीता ने कहा,' जब वह छोटी थी तो अक्सर गंगा के किनारे बच्चों को सामान ढोते देखती थी। उनको देखकर मैं अकसर सोचती कहीं बच्चे नशे की लत में ना पड़ जाएं। उनको नशे की लत से दूर रखने के लिए मैंने कूड़ा बीनने वाले बच्चों को इक्ट्ठा करना शुरू किया और उनका नाम स्कूल में दर्ज करवाया। इसके बाद उन्हें फुटबॉल खेलना सिखाना शुरू किया। इस तरह उन्होंने 'चक दे फुटबॉल क्लब' बनाया।  

 

उनके स्टूडेंट्स विकास, भोला, अमरदीप सहित लगभग आधे दर्जन बच्चे आज दानापुर आर्मी ब्याज और साईं सेंटर का हिस्सा बन चुके हैं। इसके साथ ही मुंगेरे जिले के पांच बच्चे पिछले वर्ष ही राष्ट्रीय फुटबॉल अंडर-13 टीम में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय फुटबॉल टीम अंडर-19 में सिलेक्ट हुए हैं। 

 

 

अपनी पुलिस की ड्यूटी को अच्छे से निभाने के साथ ही कूड़ा बीनने वाले बच्चों को फुटबॉल सिखाने वाली रंजीता पर हम सब को गर्व है। 

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