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इस बार मनाएं हैल्दी होली, जानवरों पर न डालें रंग

  • Updated: 13 Mar, 2017 02:03 PM
इस बार मनाएं हैल्दी होली, जानवरों पर न डालें रंग

लाइफस्टाइल: रंगों के त्योहार होली को लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते है और  दूसरे दिन धुलेंडी व धुरखेल नाम से इस त्योहार को मनाया जाता है इस दिन बच्चे-बड़े, सब एक-दूसरे को गुलाल और गीले रंग लगाते हैं। साथ ही में ठंडाई के साथ पकौड़े और गुजिया आदि पकवानों का अानंद उठाते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर पुरानी कटुता को छोड़ फिर से दोस्त बन जाते हैं। होली के रंग आपके जीवन में भी नई उमंग और खुशहाली लेकर आते हैं।

 

पहले तो फूलों की मदद से घर पर रंग बनाए जाते थे लेकिन मॉडर्न दौर में इन नैचुरल रंगों की जगह कैमिकल युक्त रंगों ने ले ली है जो हमारे बालों और त्वचा को नुकसान ही देता है। अगर स्किन सेंसटिव है तो त्वचा पर रेशेज और खुरदरापन भी आ सकता है। इसकी जगह पर आप होममेड हर्बल रंगों का इस्तेमाल करे तो अच्छा है। आप मेहंदी के पत्तों से संतरी रंग, चंदन से लाल, चुकंदर से मेजेंटा पिंक, पालक से हरा और ब्लू बेरी से नीला रंग बना सकते हैं। बस इन्हें रात भर पानी में भिगोकर रखें या उबाल लें। आपको कलरफुल पानी मिल जाएगा। फूलों को सुखाकर या चावल के आटे में फूड कलर डालकर आप कोई भी ड्राई कलर बना सकते हैं।

पालतू हो या अवारा ना करें ऐसा व्यवहार

इस त्योहार की धूम भारत के हर घर में देखने को मिलती है लेकिन यह त्योहार जानवरों के लिए नहीं है। कुछ लोग अपने मजे और शौंक के लिए जानवर (कुता, बिल्ली, बंदर) पर भी रंग फैंकते हैं। खासकर छोटे बच्चे जाने-नजाने में पानी से भरे गुब्बारे, पिचकारी और रंग उन पर फैंकते हैं। बच्चे छोटे हैं तो आप अपना कर्तव्य निभाएं और उन्हें ऐसा करने से मना करें। अगर आपने भी अपने घर पर पालतू जानवर, खासकर कुत्ता पाल रखा है तो उसे कुछ समय के लिए सुरक्षित जगह पर रखें। अगर गलती से उन पर रंग लग गया है तो तुरंत उन्हें साफ करें क्योंकि यह उनके और आपके दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। 

पालतू के स्वास्थ्य पर रंगों का असर

पालतू जानवरों में अपने ही शरीर को चाट कर साफ करने की प्रवृति होती है। जब यह कैमिकल युक्त रंग उनके शरीर में जाते हैं तो वह गंभीर पेट और आंत संबधी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। होली के इन रंगों में लीड आक्साइड, एल्यूमिनियम ब्रोमाइड, मरकरी सल्फेट और कॉपर सल्फेट आदि रसायन शामिल होते हैं। इन्हीं जहरीले टॉक्सिन के कारण मनुष्य और जानवर दोनों को स्किन एलर्जी और जलन हो सकती है।


कुछ बातों का रखें ख्याल 

- पालतू पर सूखा हो या गीला, दोनों तरह के रंग डालना खतरनाक साबित हो सकता है। इन रंगों में सीसा का इस्तेमाल किया जाता हैं जो जानवरों की त्वचा में संचित हो जहर का कार्य करती है। यह रंग उनकी नाक और श्वास नली में जाकर नाक में जलन और श्वसन संक्रमण कर सकता है, जिससे वह पागल भी हो सकते हैं। जब जानवरों पर रंग गिरता हैं तो इन्हें साफ करने के लिए जीभ से चाटते हैं जो उसके पेट में जाकर विषाक्तता का मुख्य कारण बन जाते हैं। 

- उन्हें मीठी चीजें खाने को ना दें। ज्यादा मीठा उनके लिए जहर के बराबर होता है।


- अगर उनपर गलती से रंग लग भी जाए तो शैम्पू से उन्हें अच्छे से नहाएं अगर खुजली या जलन ठीक ना हो तो पशु चिकित्सक को तुरंत चैकअप करवाएं।

 

-वंदना डालिया

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