भारतीय समाज में शुरूआत से ही महिलाओं को कम आंका जाता है। भले ही आज लड़कियां चांद तक पहुंच गई हो। भले ही नारी डॉक्टरी, कूली, पॉलिटिक्स जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुकी हो लेकिन भारत का पुरुष प्रधान समाज आज महिलाओं को कुछ अधिकार देता। जी हां, आज भी महिलाओं को कई मामलों में पुरुषों जैसे अधिकार नहीं मिलते।
अपना जीवनसाथी चुनने का हक
भले ही आज लड़कियां अपना पार्टनर खुद चुनती हो लेकिन फिर कई रूढ़ीवादी परिवारों में महिलाओं को आज भी इसकी स्वतंत्रता नहीं है। आज भी कुछ परिवारों में लड़के तो अपनी पसंद बेझिझक जाहिर कर देते हैं लेकिन लड़कियों को इसका अधिकार नहीं दिया जाता।
कपड़े पहनने की आजादी
कपड़ों को लेकर हमेशा से ही भारतीय समाज में कई नियम बनाएं गए हैं। हालांकि आज काफी देशों में महिलाएं अपनी मर्जी के कपड़ें पहनती है लेकिन फिर भी कई जगह ऐसा हैं, जहां महिलाओं को घूंघट में रहना पड़ता है। कई इलाके तो ऐसे भी हैं जहां जींस, टॉप, टी-शर्ट पहनने वाली महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता।
प्रॉपर्टी में नहीं मिलती हिस्सेदारी
कानून की नजर में बेटा-बेटी समान है और प्रॉपटी को लेकर दोनों को समान अधिकार दिए गए है लेकिन फिर क्यों पिता की मृत्यु के बाद प्रॉपटी पर सिर्फ लड़के का ही अधिकार होता है। पिता की जायदाद में लड़कियों की हिस्सेदारी के लिए कानून तो बना है लेकिन कई परिवार इस पर अमल नहीं करते।
जब मौज-मस्ती की हो बात
लड़का अगर अपने दोस्तों के साथ देर रात तक बाहर घूमे तो उसे कुछ नहीं कहा जाता। मगर लड़की अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमना चाहती है तो उसे घर की चारदीवारी में ही कैद कर दिया जाता है। वहीं देर रात बाहर देर वाली लड़कियों को आज भी समाज की नजरों में गलत समझा जाता है।
रीति-रिवाज से आज भी वंचित है लड़कियां
हमारे समाज में ऐसे कई रीति-रिवाज हैं, जिनसे महिलाओं को वंचित रखा जाता है। इन रीति-रिवाजों के लिए सिर्फ पुरुषों के विशेष समाज को ही इजाजत होती है। हालांकि अब लड़कियां समाज की बंदिशों को तोड़कर अपना फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटती।
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