सतोपंथ का मतलब सत्य का रास्ता यानि सच्चाई की ओर बढ़ने का राह है। मान्यताओं अनुसार, पांडवों ने स्वर्ग जाने के दौरान इसी जगह पर स्नान और ध्यान किया था।
कहा जाता है कि पांडवों के स्वर्ग की ओर जाते दौरान रास्ते में ही एक-एक करके सभी की मृत्यु हो गई थी। सिर्फ धर्मराज युद्धिष्ठिर ही सशरीर यानि जिंदा स्वर्ग तक पहुंच पाए थे।
धार्मिक ग्रंथों अनुसार, युधिष्ठिर आकाशीय वाहन के जरिए स्वर्ग पर पहुंचे थे। संतोपंथ झील का आकार बेहद ही रहस्यमयी माना गया है। आमतौर पर तो झील का आकार चौकोर होता है मगर संतोपंथ त्रिकोनी है।
कहा जाता है कि एकादशी के दिन त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने इस झील के तीनों कोने में डुबकी लगाई थी। इसलिए ही यह चौकोर ना होकर त्रिकोण आकार में है।
कहा जाता है कि एकादशी के दिन त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने इस झील के तीनों कोने में डुबकी लगाई थी। इसलिए ही यह चौकोर ना होकर त्रिकोण आकार में है।
मान्यताओं अनुसार, इस रहस्यमयी झील से कुछ दूरी पर स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर दिखाई देता है। इस ग्लेशियर पर सात सीढ़ियां हैं जो सीधे स्वर्ग की ओर जाती है। मगर इनमें से सिर्फ 3 सीढ़ियां ही दिखाई देती है। इनमें से बाकी की 4 सीढ़ियां बर्फ से ढकी रहती हैं।
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