नवरात्रि के पावन त्योहार की धूम देशभर में देखने को मिलती है। लोग इस दौरान देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा व व्रत करते हैं। इसके साथ देवी मां को अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है।
वहीं कई जगहों पर नवरात्रि के पावन दिन पर देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापना और विसर्जन किया जाता है। इसके लिए बड़े-बड़े पंडालों में भव्य आयोजन किए जाते हैं। कई जगह पर डांडिया नाइट्स भी किया जाता है।
पश्चिम बंगाल में नवरात्रि का पावन त्योहार ‘पूजो’ के नाम से मनाया जाता है। यहां पर दुर्गापूजा का विशेष आयोजन होता है। इस दौरान हर गली-नुक्कड़ पर पंडाल लगाए जाते हैं।
पंडालों में महिसाषुर मर्दनी मां दुर्गा की पूजा करने का महत्व है। देवी दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित की जाती है।
पंजाब में इस दौरान दिन में सिंहवाहिनी मां दुर्गा का कीर्तन और रात में जगराता करने का महत्व है। यहां पर नवरात्रि के पहले 7 या 8 दिन व्रत रखने की भी परंपरा है।
लोग अष्ठमी या नवमी तिथि पर माता रानी को भोग लगाकर नौ कन्याओं का पूजन करते हैं। इसे कंजक पूजन या कंजीका कहा जाता है।
गुजरात में नवरात्रि के पहले दिन घरों में मिट्टी के मटके स्थापित करने की परंपरा है। इन मटकों में सुपारी, नारियल, चांदी का सिक्का रखा जाता है।
मटके पर दीपक भी जलाने का खास महत्व है। हर रात लोग एक साथ इकट्ठे होकर देवी मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इसके साथ ही रातभर गरबां-डांडिया डांस करके इस शुभ पर्व को मनाते हैं।
महाराष्ट्र के लोग इस दौरान घरों में अखंड ज्योत जलाते हैं। इसे पूरे नवरात्रि यानि नौ दिनों तक जलाना जाता है।
इसके साथ दशमी यानि दशहरे के दिन घर के पुरुषों द्वारा अपनी गाड़ियों, औजार, टूल्स आदि की पूजा की जाती है। इसे ‘अयुद्ध पूजा’ कहते हैं।
उत्तर भारत के राज्यों में इस दौरान राम लीला खेलने की परंपरा है। यहां पर कई दिनों पहले से ही इसकी तैयारियां शुरु कर दी जाती है।