हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाए जाने वाला दशहरा दुनियाभर में फेमस है। यहां पर दशहरे को अंतरराष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया है।
ऐसे में यहां पर दशहरे की रौनक देखने वाली होती है। देश-विदेश से भारी गिनती में लोग कुल्लू का दशहरा देखने पहुंचते हैं। बता दें, कुल्लू में 17 वीं शताब्दी से यह पर्व मनाया जा रहा है।
कर्नाटक के मदिकेरी शहर का दशहरा उत्सव देखने वाला होता है। यहां पर पूरे 10 दिनों तक दशहरा मनाया जाता है। इसके लिए शहर के 4 बड़े व अलग-अलग मंदिरों में खास आयोजन होता है। दशहरे के दिन मरियम्मा नामक एक खास उत्सव की शुरुआत की जाती है।
कहा जाता है कि एक समय में इस शहर के लोगों को किसी खास बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। उस समय इससे बचने के लिए मदिकेरा के राजा ने देवी मरियम्मा को प्रसन्न करने के लिए इस विशेष उत्सव को मनाने की प्रथा शुरु की थी।
पौराणिक कथा मुताबिक, भगवान राम अपने वनवास काल में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दण्डकरण्य में भी रहे हैं। यहां पर हर साल दशहरे के पावन दिन पर वन क्षेत्र के हजारों आदिवासी आते हैं।
असल में, यहां के आदिवासियों और राजाओं के बीच अच्छा मेल-जोल होने से प्रभु श्रीराम ने यहां पर रथ चलाने की प्रथा आरंभ की थी। इसलिए यहां पर बाकी राज्यों की तरह रावण दहन होने की जगह पर रथ चलाया जाता है।
कर्नाटक के मदिकेरी शहर का दशहरा उत्सव देखने वाला होता है। यहां पर पूरे 10 दिनों तक दशहरा मनाया जाता है। इसके लिए शहर के 4 बड़े व अलग-अलग मंदिरों में खास आयोजन होता है।
बता दें, इसकी तैयारी करीब 3 महीने से शुरु हो जाती है। फिर दशहरे के दिन मरियम्मा नामक एक खास उत्सव की शुरुआत की जाती है। कहा जाता है कि एक समय में इस शहर के लोगों को किसी खास बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था।
उस समय इससे बचने के लिए मदिकेरा के राजा ने देवी मरियम्मा को प्रसन्न करने के लिए इस विशेष उत्सव को मनाने की प्रथा शुरु की थी।