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बच्चे को सफल होते देखना है तो रखें इन बातों का ध्यान

  • Updated: 12 Sep, 2016 07:11 PM
बच्चे को सफल होते देखना है तो रखें इन बातों का ध्यान
बदलते दौर में परिवार का भावनात्मक पहलू सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है और इनमें सबसे महत्वपूर्ण है आजकल बच्चों का पालन-पोषण और उनका सही मार्गदर्शन करना।  आज लगभग 60 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को लेकर परेशानियों का सामना कर रहे  हैं। लेकिन ये भी सच है कि सभी अभिभावक अपने बच्चों को तरक्की करते देखना चाहते हैं और ज्यादातर इस दिशा में बच्चे की हर संभव सहायता भी करते हैं। बच्चे को सफल होते देखने की इच्छा में माता-पिता एक पहलू को अक्सर नजरअंदाज कर जाते हैं, वह है बच्चे की कमजोरियों और ताकत को समझना। देखने में आता है कि दूसरे बच्चों को किसी क्षेत्र में सफलता मिलती देख कर वे अपने बच्चों की रूचि-अरुचि जाने बिना ही उसे उस क्षेत्र में धकेलने की कोशिश करते हैं जो अधिकतर समय और पैसे की बर्बादी ही साबित होती है।
 
 अगर आप भी अपने बच्चे को सफल होते देखना चाहते हैं तो रखें इन बातों का ध्यान। 
  
1. बच्चों की सफलताओं और असफलताओं में खुद का प्रतिबिंब न देखें। ये न अभिभावको के लिए सही है और न ही बच्चों के हित में । बच्चों पर अपना फैसला थोपते जबरदस्ती वह काम कराना जिसमें उसकी बिल्कुल भी रुचि नहीं है, बच्चे के व्यक्तित्व को खराब कर सकता है।  इससे बच्चे के आत्मविश्वास को भी ठेस पहुंचती है। 
 
2. बार-बार असफलताओं का मुंह देखने पर बच्चे में प्राय: यह धारणा विकसित हो जाती है कि उसकी किस्मत ही खराब है या फिर वह चाहे जो कर ले कभी सफल नहीं होगा। इस तरह की नकारात्मक सोच से उसका जीवन विपरीत रूप से प्रभावित होता है। वह खुद को अकेला और असहाय महसूस करता है।एेसे में बच्चोें का हौसला न टूटने दें और उन्हें हार-जीत, सफलता-असफलता से ऊपर उठकर आगे बढ़ने की सलाह दें।   
 
3. कई बार सफलता पाने की कोशिश में बच्चा अपने मापदंडों को बहुत निचले स्तर पर रखता है। नए अनुभवों को प्राप्त करने की कोशिश नहीं करता और प्राय: ऐसे अवसरों को खो देता है, जिसमें असफल होने का लेशमात्र भी खतरा नहीं रहता।एेसे समय में बच्चे के सही मार्गदर्शक बनें व उसे सही निर्णय लेने में सहायता करें। 
 
4. माता-पिता को अपने बच्चे को उसके सही व सच्चे रूप में स्वीकारना चाहिए और उन्हें वही करने और बनने देना चाहिए जो वह चाहता हो। इसका अर्थ यह नहीं कि बच्चे की गलत बातें या आदतें भी स्वीकार कर ली जाएं और उसकी मनमानी करने दी जाए। बच्चे के गलत व्यवहार या मनमानी को समय रहते ठीक करने की कोशिश करें।
 
5. बच्चों को स्कूल और समाज में रहने के तरीके  सही रूप से सिखाना माता-पिता की अहम जिम्मेदारी है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों पर नियंत्रण और उन्हें आजादी देने के बीच सही संतुलन बनाएं ।
 
6. प्राय: बच्चे स्वयं ही माता-पिता को ऐसे संकेत दे देते हैं, जिनसे वे अपने बच्चों के सामने उचित और व्यावहारिक उद्देश्य रख सकें। यदि माता-पिता अपने बच्चों को उनके सच्चे रूप में स्वीकार  कर प्यार  और उनकी सहायता करें तो बच्चे अक्सर माता-पिता की अपेक्षाओं से कहीं अधिक करने के लिए तैयार हो जाते हैं और कर भी पाते हैं।
 
7. अपने बच्चे से अपेक्षाएं रखने से पहले अपने उद्देश्यों का विश्लेषण करें। माता-पिता प्राय: अपने अधूरे सपने अपने बच्चों के माध्यम से पूरे करने की इच्छा रखते हैं जो गलत है।  
 

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