टीबी की रोकथाम : टीबी एक घातक संक्रामक रोग है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। टीबी आम तौर पर ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह रोग हवा के द्वारा फैलता है। जब टीबी का रोगी खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ये ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है इसलिए टीबी के मरीज को अपने मुंह पर मास्क यकपडा लगाकर बात करनी चाहिए और मुंह पर हाथ रखकर खांसना और छींकना चाहिए।
टीबी के लक्षण
लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना
खांसी के साथ खून का आना।
छाती में दर्द और सांस का फूलना।
वजन कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
शाम को बुखार का आना और ठण्ड लगना।
रात में पसीना आना।
टीबी रोग के प्रकार
पल्मोनरी टीबी (फुफ्फुसीय यक्ष्मा)
यह टीबी फेफड़ों को प्रभावित करता है। लक्षणों की बात की जाए तो इसमें सीने में दर्द और लंबे समय तक खांसी व बलगम हो सकते हैं। ठीक समय पर इलाज न करने से बीमारी बढ़ भी सकती है।
एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (इतर फुफ्फुसीय यक्ष्मा)
एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित करता है।यह कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और छोटे बच्चों में अधिक आम होता है। इसके अलावा और भी कई तरह का टीवी होे सकता है।
कैसे की जाती है टीबी की जांच
टीबी के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर रोगी को टीबी को जांचने के लिए कई तरह के टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है जो निम्न है-
1. स्पुटम/अन्य फ्लूइड टेस्ट
2.स्किन टेस्ट (मोन्टेक्स टेस्ट)
3. जीन एक्सपर्ट टेस्ट
टीबी का उपचार
टीबी के जीवाणुओं को मारने के लिए इसका उपचार करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।
टीबी की रोकथाम
1.क्षय रोग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से शिशुओं के बैसिलस कैल्मेट-ग्यूरिन (बीसीजी) का टीकाकरण कराना चाहिए बच्चों में यह 20 से
ज्यादा संक्रमण होने का जोखिम कम करता है।
2.टीबी रोग का उपचार जितना जल्दी शुरू होगा उतनी जल्दी ही रोग से निदान मिलेगा।
3. टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए और भीड़-भाड़ वाली जगह पर या बाहर कहीं भी नहीं थूकना चाहिए।
4. साफ-सफाई के ध्यान रखने के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखने से भी टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है।
5.ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट युक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। अगर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक
क्षमता मजबूत होगी तो भी टीबी रोग से काफी हद तक बचा जा सकता हैं।
- ब्रह्मानंद राजपूत