यूं तो हमने बहुत से मंदिर देखें होंगे लेकिन शायद ही किसी ने पानी के अंदर डूबे मंदिर के बारे में सुना होगा। यह अद्भूत मंदिर हिमाचल प्रेदश की तहसील ज्वाली से 8 कि. मी. की दूरी पर पौंग डैम की झील के बीचों-बीच बना है। आइए जानिए इस मंदिर की खासियत के बारे में 1. यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है और 30 साल पहले इस मंदिर के पास झील पर एक बांध बनाया गया। 2. इसी बांध की वजह से यह मंदिर साल के 8 महीने पानी में डूबा रहता है और सिर्फ मार्च से लेकर जून महीने तक ही नजर आता है। 3. यह मंदिर बहुत ही मजबूत पत्थरों से बना है, तभी तो 30 साल पानी में डूूबने के बाद भी इसकी इमारत वैसी की वैसी ही है। 4. इस मंदिर के पास एक बहुत बड़ा पिल्लर है जिसमें 200 सीढ़िया हैं। जब मंदिर झील के पानी में डूब जाता है तो सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता है। 5. इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग से पहले पांडवों ने करवाया था। अज्ञातवास के दौरान वे घूमते-घूमते इस जगह पर आए और यहां काफी समय व्यतीत किया। उन्होंने भगवान शिव की पूजा करने के लिए यहां इस मंदिर को बनाया। 6. इस मंदिर के साथ 8 दूसरे मंदिरों की इमारतें भी हैं जो बाथू नाम के पत्थर से बनी हैं। इसी वजह से इन मंदिरों को बाथू की लड़ी भी कहते हैं। 7. यहां मंदिर के अंदर भगवान शिव की पवित्र शिवलिंग है। इस मंदिर का निर्माण जिन पत्थरों से हुआ है उन पर भगवान गणेश और माता काली की तस्वीर बनी हुई है। 8. शिवरात्रि को यहां भगवान शिव की पूजा होती है और लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यहां पहुंचने के लिए लोग किश्तियों के सहारा लेते हैं। 9. मंदिर के आस-पास टापू की तरह एक जगह है जिसे रेनसर कहते हैं। इस रेनसर में फॉरेस्ट विभाग का एक गैस्ट हाउस है और पर्यटक यहां आकर ठहरते हैं।
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