काम करने वाली महिलाएं अक्सर घर और दफ्तर के बीच में अपने उपर ध्यान नहीं दे पाती। जिसके कारण वो अपने खान-पान का भी ठीक से ध्यान नहीं रखती। काम में बिजी रहने के कारण वो शरीर मे होने वाले छोटे मोटे दर्द को भी इग्नोर कर देती है लेकिन यहीं छोटे मोटे दर्द स्तन कैंसर, हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का संकेत हो सकते है। इसलिए वर्किंग वुमन को शरीर में होने वाले दर्द को इग्नोर करने की बजाए डॉक्टर से जांच करवानी चाहिएं।
1. स्तन कैंसर
एक रिर्सच के दौरान इस बात को सामने लाया गया कि नौकरी करने वाली महिलाओं में इस बीमारी का खतरा 70 फीसदी ज्यादा होता है। महिलाओं को काम के दौरान भेदभाव, सामाजिक, सहकर्मियों और सिनियर के विरोध का सामना करना पड़ता है। जिस कारण उनका तनाव बढ़ जाता है जिसके कारण उन्हें ये बीमारी हो जाती है।
2. हार्ट अटैक
तनाव के कारण भावनात्मक महिलाएं का हार्ट ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। जिससे उन्हें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और बाईपास सर्जरी का खतरा रहता है। महिलाएं हर किसी से जल्दी अटैच हो जाती है। इससे किसी छोटी बात से भी उन्हें धका लग जाता है और उन्हें हार्ट अटैक आने का डर रहता है।
3. दिल की बीमारियां
10 साल से ज्यादा काम करने वाली महिलाओं में दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा 40 प्रतिशत तक ज्यादा होता है। एक इंटरनैशनल स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर महिलाओं में जॉब के दौरान स्ट्रेस या काम का प्रैशर कम हो तो उनमें इस बीमारी का भी खतरा कम होता है।
4. सर्वाइकल कैंसर
काम करने वाली महिलाओं में इम्यूनिटी सिस्टम विकसित होने में 5 से 10 साल लग जाते है। जिसके कारण उन्हें सरवाईकल कैंसर होने का ज्यादा डर रहता है। महिलाओं में बच्चेदानी के तीन भाग हैं सर्विक्स, यूटरस और वेजाइना विशेष प्रकार की कोशिकाओं से घिरा हुआ होता है। स्ट्रैस पड़ने के कारण इसके प्री कैंसर सेल्स कैंसर कोशिकाओं में बदल जाते है। जिससे इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।