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अपंगता को हराकर इन लोगों ने जीत ली दुनिया, बने लोगों के लिए मिसाल

  • Updated: 27 Apr, 2018 12:29 PM
अपंगता को हराकर इन लोगों ने जीत ली दुनिया, बने लोगों के लिए मिसाल

जिंदगी में कुछ हासिल करने के लिए शारीरिक ताकत से ज्यादा हिम्मत और हौसलों का होना बहुत जरूरी है। दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो शारीरिक अंगों के पूरी तरह से ठीक न होने के बावजूद अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहें। जो लोगों के लिए आज भी मिसाल बने हुए हैं कि एक बार नाकामयाबी का सामना होने पर थक-हार कर बैठ जाना ठीक नहीं है बल्कि मन में बुलंद हौसलों का होना बहुत जरूरी है। आइए जानें अपंग होने के बावजूद भी किस तरह ये लोग सफलता पाने में कामयाब रहे। 
 

स्टीफन हॉकिंग

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दुनिया के महान वैज्ञानिक में स्टीफन हॉकिंग का नाम लिया जाता है। जिन्होने दुनिया को ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम भूमिका निभाई थी। 21 साल की उम्र में हॉकिंग Amyotrophic Lateral Sclerosis  नाम की बीमारी से पीडित हो गए थे, जिसके चलते उनके शरीर के कई हिस्सों पर लकवा मार गया था। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज जारी रखी। हाल ही में 76 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया है लेकिन दुनिया भर के लोगों को उन्होंने प्रेरणा दी की अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह में आने वाली हर मुश्किल भी अच्छी सीख दे कर जाती है। 


निकोलस जेम्स वुजिकिक

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निकोलस वुजिसिक का जन्म 1982 को मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया में हुआ। वह जन्म के समय ही फोकोमेलिया नाम की एक गंभीर बिमारी से ग्रसत थे। उनका जन्म ही बिना हाथ और पैरो के हुआ था। इसके बावजूद भी उन्होने हार नहीं मानी और कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। आज वो दुनिया भर में जाने माने मोटीवेशनल स्पीकर हैं। इनकी साकारात्मक सोच को देखकर लोग को भी प्रेरणा मिलती है। 
 

हेलेन केलर

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आंखों के बिना खूबसूरत दुनिया को देखना संभव नही है लेकिन अगर कोई इंसान कानों से सुनने में भी असमर्थ हो तो शायद जिंदगी जीने की उसकी तमन्ना ही खत्म हो जाए। लेकिन हेलेन केलर के पास न तो आंखे थी और न ही कानों से सुनने की क्षमता। इसके बावजूद उन्होने हार नहीं मानी। अपने सुंघने की शक्ति को इस्तेमाल किया।  उन्होंने आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया और “The Story of My Life” नाम की पुस्तक जो इतनी चर्चित रही कि उन्होंने उसकी आय से एक घर खरीदा। आगे चलकर हेलेन, लेखक और पॉलिटिशियन भी बनीं। उनके हौसलों को लोग आज भी सराहते हैं। 
 

अरुणिमा सिन्हा

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दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में से एक माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कोई आसान काम नही है। अगर कोई अपंग हो तो वह शायद इस पर जाने के बारे में सोच भी नहीं सकता लेकिन अरुणिमा सिन्हा ने यह कर दिखाया। एक हादसे में अपना पैर गंवा चुकी अरुणिमा एक पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर तिरंगा फहराने वाली पहली महिला बनी। उन्हें एक हादसे में अपना पैर गवां दिया था लेकिन फिर भी अपनी कमजोरी से अरुणिमा ने हौसलों को परस्त नहीं होने दिया और लोगों के लिए मिसाल कायम की। 

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