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तेजाबी हमला भी नहीं रोक पाया सोनी की उड़ान, मिला 'ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड'

  • Updated: 22 May, 2018 05:45 PM
तेजाबी हमला भी नहीं रोक पाया सोनी की उड़ान, मिला 'ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड'

दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों की भलाई करने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहते हैं। इसके लिए उन्हें बहुत-सी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है लेकिन वह अपने लक्ष्य से नहीं चूकते। आज हम बात कर रहे हैं सोनी सोरी की, जो मध्य भारत के नक्सली प्रभावित इलाके छत्तीसगढ़ में आदिवासी अधिकारों के लिए काम करती हैं। जिनके सामाजिक कार्यों और संघर्ष भरे काम को देखते हुए आयरलैंड के एक अधिकार संगठन 'फ्रंट लाइन डिफेंडर्स' उन्हें 'ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड' देने का फैसला किया। 

 


सोनी सोरी वह महिला हैं, जो अपने इरादों को मजबूत रखकर मुश्किलें सहते हुए भी अपनी राह पर आगे बढ़ती रहीं। नक्सल प्रभावित इलाकों में से एक है छत्तीसगढ़, जिसमें सोनी आदिवासी अधिकारों के लिए काम करती हैं। यह सामाजिक कार्य करने से पहले वह स्कूल में पढ़ाया करती थीं। नक्सलियों से जुडाव के आरोप में उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया, जेल में उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। एक इंटरव्यू में तो सोनी ने यह भी बताया कि पुलिसकर्मियों द्वारा उनका रेप भी किया गया। अपने ऊपर इतनी शारीरिक यातनाएं सहते हुए जेल में बंद होकर भी उन्होंने लोगों के अधिकार के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। लोगों ने उनकी गिरफ्तारी के लिए आवाज उठाई और फिर उन्हें रिहा कर दिया गया। 

 


सोनी ने इसके बाद 2014 में चुनाव भी लड़ा लेकिन इसमें उनकी हार हुआ। इसके बावजूद भी उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों के लिए अपना संघर्ष जारी रखा और अपनी जान को भी जोखिम में डाल दिया। साल 2016 आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ने के कारण सोनी को अपनी जान पर जोखिम भी झेलना पड़ा। इस साल उन पर तेजाब से हमला किया गया। इसके लिए उन्हें अस्पताल में भी रहना पड़ा। उन्होंने फिर भी समाजसेवा के अपने कामों को जारी रखा। 

 


इस घटना के दो साल बाद आयरलैंड के एक अधिकार संगठन  'फ्रंट लाइन डिफेंडर्स' ने सोनी के संघर्ष और आदिवासियों के हक की लड़ाई को लड़ते देखते हुए उन्हें दुनिया का प्रतिष्ठित ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड देने का फैसला किया। मानवाधिकार के क्षेत्र में यह अवॉर्ड दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड माना जाता है। डबलिन में इस अवॉर्ड की घोषणा की गई है। यह दुनिया के कुछ चुनिंदा लोगों को ही दिया जाता है। यह अवॉर्ड 2005 से हर साल उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने अपनी जान को जोखिम में डाल कर लोगों के अधिकारों और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए साहस का प्रदर्शन किया है। 

 


सोनी ने आदिवासियों के अधिकरों से लड़ते हुए नक्सलवादियों का भी पूरा विरोध लिया। नक्सलियों द्वारा जब शिक्षण संस्थाओं को ध्वस्त किया गया तो सोनी ने इसका विरोध किया। जेल में भी उनके साथ अमानवीयता की सारी हदें पार की गई। फिर भी उन्होंने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए खुद को समाजसेवा के रास्ते से अलग नहीं किया। उनकी इस बहादुरी को देेखते हुए ही उन्हें यह अवॉर्ड दिया जा रहा है। 


 

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