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Nari

प्रैग्नेंसी में आते है ये Emotional Ups-Downs

  • Updated: 05 Mar, 2017 11:57 AM
प्रैग्नेंसी में आते है ये Emotional Ups-Downs

पेरेंटिंग: हर औरत को गर्भावस्था के दौरान विभिन्न तरह की भावनाओं से गुजरना पड़ता है। वैसे प्रैग्नेंट औरत के लिए हर दिन चुनौती भरा होता है। प्रैग्नेंसी के दौरान कई समस्याओं और दिक्कतों से गुरना पड़ता है,डाइट का खास ध्यान रखना पड़ता है। यह बात तय है कि प्रैग्नेंसी का समय एक रोलर कोस्टर की तरह होता है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह गर्भवती को तीन तिमाही तक कैसे भावनात्मक उतार-चढाव से गुजरना पड़ता है। 

 

- पहली तिमाही 

यह प्रैग्नेंसी का पहला चरण होता है।यह पीरियड के अंतिम समय के पहेल दिन शुरू होता है और 12 वें सप्ताह के अंत तक रहता है। इस दौरान गर्भवती महिला को भावनात्मक उतार-चढ़ाव के कुछ अनुभवों से गुजरना पड़ता है।  

1. मानसिक स्थिरता

इस अवस्था में प्रैग्नेंट महिला अपनी प्रैग्नेेंसी के सकारात्मक परिणाम को देखती है। कुछ महिलाएं अपने आने वाले भविष्य को लेकर उत्साहित होती है।  

2. स्थिर बच्चा, अस्थिर मां

पहली तिमाही में हार्मोन एक कील की ओर जाता है। मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन या एचसीजी प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान उसकी ऊंचाई तक पहुंचता है। यह एक स्थिर गर्भावस्था के लिए महत्वपूर्ण है। इस दौरान गर्भ में भ्रूण पलने लगता है लेकिन इस अवस्था में कई महिलाओं को पहली तिमाही मे सुबह के समय बीमार जैसे फिल होने लगता है। 

3. शरीर पर नियंत्रण न कर पाने की निराशा 

ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान निराशा और तनाव जैसे महसूस होता हैं क्योंकि उन्हें लगने लगता है जैसे वह अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं कर पा रही है। गर्भावस्था में वजन, यूरिन पर कंट्रोल न कर पाना,गैस्ट्रिक प्रॉबल्म, थकावट और सूजन जैसी कई तरह की समस्याएं उन्हे हिताश कर देती है।  

 

- दूसरी तिमाही 

यह तिमाही गर्भावस्था के 13 सप्ताह से शुरू होती है और 27 वें सप्ताह में समाप्त हो जाती है। इस अवधि में, बच्चे की पहली झलक महसूस होने लगती है। इस स्थिति में कुछ भावनात्म उतार-चढाव ऐसे है। 

1.टैस्ट का डर 

जब प्रैग्नेंट महिला का टैस्ट और स्कैन होना है तो यह समय उस उस महिलाके लिए तनावपूर्ण होता है। 

2. शरीर में बदलाव 

दूसरी तिमाही में शरीर में कुछ बदलाव होने लगते है। पेट और शरीर के अन्य इंग बढ़ने लगते है, जो प्रैग्नेंट मिला के डर का कारण बनता है। कुथ महिलाएं के बाल तेजी से झड़ने लगते है।
  
3. बदल रहा है संबंध

प्रैग्नेंसी में न केवल शरीर, बल्कि रिश्ते के रूप भी अच्छी तरह से बदल जाते है।इस तिमाही में बढा हुआ शरीर महिला और उसके पति के बीच की दूरी का कारण बन जाता है, जिस वजह से वह अपना आत्मविश्वास खो देते हैं।

 

- तिसरी तिमाही 

प्रैग्नेंसी की तिसरी तिमाही का सफर सबसे दिलचस्प चरण है। यहां भावनात्मक उतार-चढाव इंतिम चरण पर होते है। 

1. अलविदा डर

तीसरी तिमाही में मां और बच्चे दोनों स्थिर होते है। मां को कोई टैस्ट का डर नहीं होता है। यह चरण महिला को सुरक्षित महसूस करवाता है, जब तक की गर्भावस्था अंतिम समय तक न पहुच जाएं। 
  
2. चिंता

डिलीवरी का समय जब नजदीक आता जाता है तो मां को फिर से चिंता घेर लेती है। प्रसव पीड़ा का डर लगा रहता है क्योंकि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना चाहती है।  

3. घोंसला करने की क्रिया

नेस्टिंग तैयारी मतलब माता-पिता अपने बच्चे का स्वागत करने की तैयारी करते है। यह प्रक्रिया मां को कुछ राहत पहुंचाती है क्योंकि इस समय में वह खुशी और भविष्य के बारे में सोचती है। यह सब गर्भावस्था के अंतिम दिनों को शांत करने में मदद करता है।
 

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